कुमार मंगलम की प्रारंभिक शिक्षा बिहार में गाँव से हुई l फिर उन्होंने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की l कुँवर नारायण के काव्य में दार्शनिक प्रभाव विषय पर गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गाँधीनगर से एम.फिल, फिलहाल समकालीन हिंदी कविता में शहर और गाँव की विविध छवियों का अध्ययन, विषय पर इग्नू नई दिल्ली से शोधरत हैं l
पलाश वन सा
खिलता है मन
जब तुम साथ होती हो
पलाश फूल सा
दहकता है मन
जब तुम साथ नहीं होती हो
तुम्हारे होने और नहीं होने के बीच
पलाश के फूल हैं
और इनका होना
अपने होने को सार्थक करता है।
अष्टपदी : अथ जंगल कथा
1
एक गीदड़
जो शेर के खाल में है
जो जंगल का राजा है
चूहों से लड़ता है।
2
शेर नथुने फुलाता है
ताल ठोंकता है
चिल्लाता है
वह कभी कभी
अत्यंत विनम्र भी हो जाता है।
3
शेर के आसपास
एक बम बिलार रहता है
शेर के बोलने से पहले
वह जोर से चिल्लाता है
शेर की योजनाओं को
बम बिलार बनाता है।
4
शेर के राज में
कुछ लोमड़ी, कुत्ते और कौवे
शेर को न्याय-प्रिय
सर्वशक्तिमान और
प्रजाप्रिय राजा मानते हैं
शेर के गुरु अपने कोटरों में कैद हैं।
5
शेर के राज्य में
सभी जंगलवासी
गुड फील करते हैं
जंगल में बहार है
और जंगलों के दिन सुधर गए हैं
अबकी शेर राजा बना तो
जनतानाम प्रिय राजा
जंगल को खेत करेगा
जिसमें आम के बाग लगेंगे।
6
शेर
जंगल का चुनाव लड़ने से पहले
रक्तपिपासु था
अब वह शाकाहारी है
पर कभी-कभी रक्त की बात करता है।
7
शेर
जंगल का राजा था
जो चूहों से डरता था
चूहे किसी से नहीं डरते।
8
शेर
जंगल में बहुत शोर के साथ आया
कुछ चूहे भी अबकी उसके साथ थे
शेर के अभिनंदन में
चूहों सहित बिलार, कुत्ते, लोमड़ी आदि ने
प्रशस्ति पढ़ा
सारा जंगल इकट्ठा हुआ
सबने भव्य रैलियां निकाली
सभा हुई
इस तरह जंगल में चुनाव सम्पन्न हुआ
अब जंगल में शेरतंत्र के नाम पर गीदड़तंत्र प्रतिष्ठित हुआ।
11
बनारस : 2019
लहू में
जिसने देखे रंग दो
जिसनें
दाढ़ी और टीके को माना
अलग-अलग
मंदिर-मस्जिद में लोगों को
बाँटा और
चमकाई अपनी राजनीति
भीतर-भीतर करते रहे साजिश
नहीं पर्दाफ़ाश हुआ उनका
वे धर्म, जाति, रंग और राष्ट्र
के नाम पर
आते रहे हैं
रंग बदल-बदल कर
वे आते हैं
और एक बड़ा जनसमूह भ्रमित हो जाता है।
मैं उनके आने को नकारता हूँ।
उस धर्म, जाति, राष्ट्र और रंग के नाश की
कामना करता हूँ।
मैं उस ईश्वर को नकारता हूँ।
जो अपने को अभेद बतलाता है।
और भेद पैदा करता है।
मैं उस देश को नकारता हूँ।
जहाँ मृत्यु दो के विभाजन में तांडव करता है।
इस देश को
दो व्यक्तियों ने नहीं
राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए
मृत्यु के परिधि में ला खड़ा किया है।
मैं ऐसे राजनेता को नकारता हूँ।
दंगों के आहट में जीता यह देश
मेरा देश नहीं।