देहरादून। चारों धामों में उमड़ रही भीड़ का किस तरह प्रबंधन किया जाएगा, इसे लेकर किसी भी महकमे की कोई सटीक जिम्मेदारी नहीं है। महकमे भीड़ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी को लेकर एक- दूसरे के पाले में गेंद उछालते नजर आ रहे हैं। वैष्णों देवी और तिरुपति में भीड़ मैनेजमेंट की व्यवस्थाओं पर बीकेटीसी का तर्क है कि वहां सेंट्रलाइज्ड सिस्टम है।
यहां कई एजेंसियों की भूमिका रहती है। शासन को भीड़ मैनेजमेंट को लेकर सुझाव दिया जा चुका है। केदारनाथ धाम में प्रति दिन श्रद्धालुओं के दर्शन करने का लगभग आंकड़ा 18 हजार के करीब तय किया गया है। इसके बावजूद पहले ही दिन करीब 25 हजार से अधिक श्रद्धालु धाम में पहुंचे हैं।
सामान्य दिनों में भी दर्शन करने वालों का ये आंकड़ा तय संख्या से अधिक रहता है। दर्शन करने को धक्का मुक्की, पैदल ट्रेक पर तमाम दिक्कतों से श्रद्धालुओं को जूझना पड़ता है। ये परेशानी सिर्फ यही नहीं आती, बल्कि अन्य धामों में भी यही दिक्कतें रहती हैं।
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का तर्क है कि मंदिर समिति की भूमिका सीमित है। उसके पास मंदिरों की व्यवस्थाओं को संभालने भर की जिम्मेदारी है। जबकि वैष्णों देवी और तिरुपति में पूरा सिस्टम सेंट्रलाइज्ड है। उत्तराखंड में बीकेटीसी से लेकर पुलिस, प्रशासन, नगर पंचायत, जिला पंचायत, पर्यटन, बिजली, पानी समेत तमाम अन्य एजेंसियों की जिम्मेदारी है।
ऐसे में बीकेटीसी की ओर से शासन को भीड़ मैनेजमेंट को लेकर एक प्रस्ताव भेजा चुका है। जिसमें भीड़ मैनेजमेंट का एक ठोस प्लान बनाने को किसी कंसल्टेंट को जिम्मेदारी देने की पैरवी की गई है। बोर्ड में थी सेंट्रलाइज्ड व्यवस्थाएं : चारों धामों के बेहतर प्रबंधन को सेंट्रलाइज्ड सिस्टम विकसित करने की तैयारी उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में थी। इसके तहत यात्रा से जुड़ी हर व्यवस्था का प्रबंध बोर्ड को ही करना था। ये बोर्ड भंग हो गया था। अब एक दर्जन से अधिक विभागों पर अलग अलग जिम्मेदारी है।