डर होना चाहिए… वो दिल में होना चाहिए, और वो दिल आपका नहीं सामने वाले का होना चाहिए. KGF फिल्म का ये डायलॉग ऑस्ट्रेलियाई टीम पर सटीक बैठता है. ऑस्ट्रेलिया की टीम नागपुर टेस्ट की पहली पारी में महज 177 रनों पर ढेर हो गई. ऑस्ट्रेलियाई टीम 63.5 ओवर में ही ऑल आउट हो गई. जैसा की उम्मीद थी ऑस्ट्रेलियाई टीम नागपुर की पिच पर संघर्ष करती नजर आई. जडेजा और अश्विन ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया के 8 विकेट चटकाए लेकिन आपको बता दें नागपुर की पिच पर पहले दिन स्पिनर्स को इतनी मदद भी नहीं मिली.
दरअसल ऑस्ट्रेलियाई टीम नागपुर की पिच को देखकर ही डर गई. उसके जहन में पिच का वो रफ एरिया घर कर गया और यही वजह है कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने नागपुर टेस्ट की पहली पारी में बेहद औसत प्रदर्शन किया. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि नागपुर टेस्ट के पहले दिन गेंद भारत में खेली गई पिछली 3 सीरीज के मुकाबले सबसे कम टर्न हुई है.
गेंद घूमी नहीं, ऑस्ट्रेलिया को डर ले डूबा!
स्टार स्पोर्ट्स पर दिखाए गए एक आंकड़े के मुताबिक पिछली 3 घरेलू टेस्ट सीरीज के मुकाबले नागपुर टेस्ट के पहले दिन स्पिनर्स को सबसे कम औसत टर्न मिली है. नागपुर में औसत टर्न महज 2.6 डिग्री हुआ. अब अगर भारत में खेले गए पिछले 8 टेस्ट मैचों की बात करें तो सभी मुकाबलों में पहले दिन के खेल में इससे ज्यादा ही गेंद टर्न हुई है.
इंग्लैंड के खिलाफ साल 2021 में खेली गई टेस्ट सीरीज में सबसे कम टर्न ही 3.2 डिग्री थी. इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में गेंद पहले दिन 3.3 डिग्री घूमी. दूसरे टेस्ट के पहले दिन गेंद 4.9 डिग्री घूमी. इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में गेंद 3.2 डिग्री घूमी. चौथे टेस्ट में गेंद 3.6 डिग्री घूमी थी. न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के पहले दिन गेंद 3.1 डिग्री घूमी. दूसरे टेस्ट में गेंद 4.3 डिग्री घूमी. श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में गेंद 4.6 डिग्री तक घूमी. साफ है ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट के पहले दिन गेंद सबसे कम घूमी है लेकिन इसके बावजूद कंगारू बल्लेबाजों ने सरेंडर कर दिया.
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का खराब शॉट सेलेक्शन
ऑस्ट्रेलिया के ओपनर डेविड वॉर्नर और उस्मान ख्वाजा तो मीडियम पेसर्स को ही विकेट दे बैठे. वॉर्नर को शमी ने बोल्ड किया और ख्वाजा का विकेट सिराज ले गए. इसके बाद लाबुशेन स्टंप आउट हुए और स्मिथ ने सीधी गेंद पर अपना विकेट दिया. एलेक्स कैरी जैसा बल्लेबाज रिवर्स स्वीप खेलकर आउट हुआ. साफ है ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का शॉट सेलेक्शन खराब रहा और गेंद उतनी टर्न ही नहीं हुई जितनी उन्हें उम्मीद थी.