उत्तरकाशी : देहरादून: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड के चार जिलों पर हिमस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड के चार जिलों चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में 3000 मीटर से ऊपरी क्षेत्रों में हल्के एवलांच आने की आशंका जताई गई है। डिफेंस जियोइंफार्मेटिक रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (DGRI) डीजीआरआई चंडीगढ़ के जरिए जारी किए गए अलर्ट के बाद आपदा प्रबंधन विभाग ने यह चेतावनी दी है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार हिमपात की लगातार निगरानी की जा रही है। इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन की कई वजहें हो सकती हैं।
डीजीआरआई चंडीगढ़ ने जरिए बर्फबारी, मौसम पर नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। डीजीआरआई द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा के आधार पर आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से दैनिक चेतावनी जारी होती है। देर शाम जारी की गई इस चेतावनी में 24 घंटे के भीतर चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ के तीन हजार मीटर से ऊंचाई वाले क्षेत्रों के हल्के हिमस्खलन की चपेट में आने की बात कही गई है।
एवलांच में कई पर्वतारोहियों ने गंवाई थी जान
उत्तराखंड लगातार दैवीय आपदा से जूझता आया है। उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा-2 में पिछले साल 4 अक्टूबर को भयंकर हिमस्खलन हुआ था, जिसमें कई पर्वतारोहियों की जान चली गई थी। एनआईएम (NIM) के 42 सदस्यीय पर्वतारोहियों का यह दल 17 हजार फुट की ऊंचाई पर हिमस्खलन की चपेट में आ गया था। इस जानलेवा एवलांच को अभी कुछ महीने बीते थे कि दोबारा एवलांच की आहट नजर आ रही है।
फरवरी में दून का पारा पहुंचा 26.8 डिग्री
मौसम विभाग के मुताबिक फरवरी में सिर्फ तीन दिन बारिश के आसार हैं। उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में मासिक न्यूनतम तापमान भी सामान्य से कम रहने की संभावना है। जबकि अन्य सभी जिलों में 24 घंटे में मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान जारी किया गया है। मौसम के बदलते मिजाज का असर दून की ठंड पर भी दिखाई देने लगा है। दिन के समय तापमान काफी बढ़ रहा है। बृहस्पतिवार को दून में अधिकतम तापमान 26.8 डिग्री था जबकि न्यूनतम तापमान भी नौ डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री अधिक था। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में तापमान में और बढ़ोतरी हो सकती है।
रैणी आपदा के घाव नहीं भरे
चमोजी के रैणी गांव में 7 फरवरी 2021 को आई भीषण आपदा में कई लोगों की जान चली गई थी। तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल में फंसे कई मजदूर बाहर ही नहीं निकल पाए। कई लोगों के कंकाल के अवशेष मिले तो कई के बारे में पता ही नहीं चला। 7 फरवरी को अचानक आई बाढ़ के कारण दो निर्माणाधीन पनबिजली परियोजनाओं, ऋषि गंगा और एनटीपीसी के तपोवन बांध को नुकसान पहुंचा। प्रशासन ने 204 लोगों को मृत घोषित किया था।