जबलपुर। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है। यह आदेश स्पेशल कोर्ट MP-MLA जबलपुर ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर 10 करोड़ रु के मानहानि के मामले में जारी किया है। आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने कहा, भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता पर व्यक्तिगत व्यस्तता बताकर न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करेंगे तो इससे लोगों पर गलत मैसेज जाएगा। अदालत ने तीनों के खिलाफ 500-500 रु का जमानती वारंट जारी किया। ये मामला स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर हुई बयानबाजी का है।
इससे पहले अदालत ने तीनों भाजपा नेताओं (शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह) को 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन तीनों ने लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने के लिए आवेदन पेश किया। जिसके बाद अदालत ने जमानती वॉरन्ट जारी करते हुए तीनों को 7 मई को उपस्थित रहने का आदेश दिया।
इस मामले में 2 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान जब अभियुक्त गण कोर्ट में पेश नहीं हुए और उनके वकील की तरफ से परिवचन पत्र यानी अंडरटेकिंग देने में असमर्थता जाहिर की और थोड़ा और वक्त मांगा गया, जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति ली। जिसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए अंडरटेकिंग के अभाव में 7 जून 2024 की जो अगली तारीख नियत थी उसे एक महीने पहले यानी 7 मई 2024 कर दिया। साथ ही अगली तारीख पर तीनों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने इनके खिलाफ 500-500 रु का जमानती वॉरंट भी जारी किया। अगर अगली सुनवाई पर भी तीनों नेता नहीं आते हैं, तो कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगा।
तीनों नेता लगातार पिछली दो बार से अदालत की सुनवाई से गैर हाजिर रह रहे हैं। लोकल इलेक्शन के दौराने तीनों नेताओं ने विवेक तन्खा पर ओबीसी आरक्षण रुकवाने का आरोप लगाया था। उनके इस बयान से आहत विवेक तन्खा ने 10 करोड़ का मानहानि का केस दायर किया था। जिसके बाद स्पेशल कोर्ट MP-MLA जबलपुर की विशेष न्यायाधीश श्रीमती विश्वेश्वरी मिश्रा ने यह आदेश जारी किया।
दरअसल पूरा मामला राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा पर ओबीसी आरक्षण को लेकर गलत बयान बाजी करने से संबंधित है। इस मामले में 23 मार्च को सुनवाई हुई थी उस समय भी चुनावी व्यस्तता का हवाला देते हुए नेताओं ने याचिका लगाकर सुनवाई की तारीख बढ़ाने की अपील की थी, इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति दर्ज कराई थी और कोर्ट ने 7 जून को सुनवाई की तारीख देते हुए 2 अप्रैल को अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए थे। 2 अप्रैल को जब सुनवाई हुई तो तीनों नेताओं के अधिवक्ताओं की ओर से चुनावी व्यस्तता का हवाला देते हुए अंडरटेकिंग देने में असमर्थता जताई गई। जिसके बाद कोर्ट ने सख्ती दिखाई और 7 जून को होने वाली सुनवाई की तारीख को उसके पहले ही 7 मई कर दिया, साथ ही जमानती वारंट भी जारी कर दिए।