नई दिल्ली: बांग्लादेश ने भारत की प्राइवेट बिजली उत्पादक कंपनी अडानी पावर को बकाया 800 मिलियन डॉलर यानी करीब 6700 करोड़ रुपए का भुगतान करने का प्रोसेस तेज कर दिया है. कंपनी जो पूर्वी भारत के झारखंड राज्य में स्थित अपने गोड्डा संयंत्र से बांग्लादेश को बिजली निर्यात करती है, उसने भुगतान में देरी के कारण बिजली आपूर्ति में 50% तक की कटौती कर दी है. अडानी पावर ने बांग्लादेश सरकार से अपनी बकाया राशि शीघ्र चुकाने की मांग की है, क्योंकि कंपनी को बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले के आयात में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अडानी पावर ने हाल के हफ्तों में बांग्लादेश को 1,400 मेगावाट से घटाकर 700-800 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की है. अधिकारियों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि अगर समय पर भुगतान नहीं हुआ तो आपूर्ति में कटौती और बढ़ सकती है. हालांकि, अडानी पावर ने इस संबंध में समय सीमा या भुगतान के मुद्दे पर कोई टिप्पणी अभी तक नहीं की है.
भुगतान के लिए सरकार कर रही है काम
गौतम अडानी के स्वामित्व वाली कंपनी बांग्लादेश के साथ हुए अपने कॉन्ट्रैक्ट के तहत बिजली का निर्यात करती है. बांग्लादेश के ऊर्जा मंत्रालय के सलाहकार मुहम्मद फौजुल कबीर खान ने रॉयटर्स को बताया कि पिछले महीने बांग्लादेश ने अडानी पावर को 96 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था और इस महीने के लिए 170 मिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए बैंक से लोन लिया जा रहा है.
बांग्लादेश के सामने है ये संकट
बांग्लादेश को हाल के वर्षों में महंगे ईंधन और अन्य कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण अपने बिलों का भुगतान करने में कठिनाई हो रही है. विशेष रूप से, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ऊर्जा की वैश्विक कीमतों में अस्थिरता देखी गई है, जिससे बांग्लादेश के वित्तीय दबाव में इजाफा हुआ है. इसके अतिरिक्त, हाल में हुई राजनीतिक अस्थिरता, जिसमें अगस्त में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाने का प्रयास भी शामिल था, ने देश की अर्थव्यवस्था को और जटिल बना दिया है.
इस भुगतान विवाद और आपूर्ति में कटौती के चलते बांग्लादेश और अडानी पावर के संबंधों पर क्या असर पड़ेगा, यह आने वाले समय में पता चलेगा. बांग्लादेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक बाजार में ईंधन की बढ़ती कीमतें और अंतर्राष्ट्रीय कच्चे माल की कमी ने देश के बिजली आपूर्ति तंत्र को संकट में डाल दिया है.