कोरोना क्राइसिस के बाद जब सरकार निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने लगी तो रूस-यूक्रेन विवाद ने इस मुहिम को झटका दिया. इधर फेडरल रिजर्व ने इंट्रेस्ट रेट बढ़ा दिया है जिसके कारण भी निजीकरण का सेंटिमेंट बिगड़ा है. इस बीच वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड ने कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण (IDBI bank privatisation) की दिशा में तेजी से काम चल रहा है. इस बैंक के निजीकरण को लेकर सरकार की तरफ से निवेशकों के लिए रोड-शो का आयोजन किया जा रहा है. उसके बाद संभावित खरीदार रुचि पत्र यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जमा करेंगे.
आर्थिक मामलों के कैबिनेट कमिटी ने मई 2021 में आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश और मैनेंजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर करने की अनुमती दी थी. वर्तमान में एलआईसी और सरकार के पास इस बैंक में 94 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. सरकार और एलआईसी कितना हिस्सा बेचेगी, इसके बारे में अभी तक समुचित जानकारी नहीं है.
खरीदार को करने होंगे कई काम
आज लोकसभा में लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड ने कहा कि जो कोई आईडीबीआई बैंक को खरीदेगा उससे उम्मीद की जाएगी कि वह बैंक में कैपिटल इंफ्यूजन करे. इसके अलावा वह टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट करे. साथ में बेस्ट मैनेजमेंट इस बैंक के कामकाज को सुचारू रूप से चलाए जिससे बैंक का भविष्य उज्ज्वल हो सके. यह जरूरी है कि बैंक सरकार और एलआईसी की मदद के बिना अपने लिए बिजनेस जेनरेट करे, तभी इसकी स्थिति में सुधार होगा.
सरकार और LIC के पास 94 फीसदी हिस्सेदारी
वर्तमान में आईडीबीआई बैंक में एलआईसी के पास 49.24 फीसदी और सरकार के पास 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है. नॉन प्रमोटर शेयर होल्डिंग 5.29 फीसदी है. कराड ने कहा कि रोड शो का आयोजन इसलिए किया जा रहा है जिससे निवेशकों के बारे में उचित जानकारी मिले.
कर्मचारियों और स्टेक होल्डर्स पर नहीं होगा असर
कराड ने कहा कि सरकार इसमें रणनीतिक विनिवेश करेगी. बैंक के कर्मचारियों और स्टेक होल्डर्स के इंट्रेस्ट का पूरा-पूरा खयाल रखा जाएगा. इस संबंध में विशेष जानकारी शेयर पर्चेज अग्रीमेंट में होगी. इस खबर के सामने आने के बाद आज आईडीबीआई बैंक के शेयरों में तेजी देखी जा रही है. यह शेयर इस समय 4.4 फीसदी की तेजी के साथ 44.75 रुपए के स्तर पर है.