मुंबई: पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक घोटाला फिर से सुर्खियों में है. इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने मामले में दायर चार्जशीट और ग्रांट थॉर्नटन की फॉरेंसिक रिपोर्ट दायर किए हैं, जिसमें नए खुलासे किए गए हैं. दस्तावेजों में खुलासा किया गया है कि बैंक अधिकारियों ने वित्तीय रिकॉर्ड्स में गहरी और सुनियोजित तरीके से हेरफेर की, जिससे हजारों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, और बैंक के हजारों ग्राहकों का विश्वास टूटा.
EOW की चार्जशीट में बताया गया है कि बैंक ने कई ऐसे अकाउंट्स को नियमित नहीं किया गया जो लंबे समय तक अनियमित रहे. कई खातों में ब्याज भुगतान दो तिमाहियों से अधिक समय लंबित रहा फिर भी उन्हें एनपीए घोषित नहीं किया गया. यह तब तक जारी रहा जब तक आरबीआई ने ऑडिट कर इस घोटाले का पर्दाफाश नहीं किया.
इन कंपनियों के खिलाफ नहीं लिया गया एक्शन
उदाहरण के लिए, Abchal Ship Wreckers Limited, Friends Engineering Corp. और Kanwal Corporation के खातों को वर्षों तक अनियमित रहते हुए भी छुपाया गया. ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में बैंक द्वारा HDIL और उससे जुड़ी संस्थाओं को दिए गए 41 लोन अकाउंट्स का भी जिक्र है, जो 90 दिनों से अधिक समय तक बकाया रहे, फिर भी उन्हें एनपीए घोषित नहीं किया गया.
कंपनियों से बकाए की नहीं की गई रिकवरी
बैंक की गलत आर्थिक स्थिति को छुपाने के लिए ब्याज को 3271.84 करोड़ रुपये तक बकाया दिखाते हुए भी मार्च 2019 तक रिकवरी नहीं की गई. PMC बैंक की आय को आर्टिफिशियल तरीक से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जिससे वित्तीय वर्षों के आंकड़े गलत तरीके से पेश किए गए.
PMC बैंक प्रबंधन ने ऐसा करके लाखों ग्राहकों को गुमराह किया और देश के बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास पर आघात पहुंचाया. EOW की चार्जशीट और ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट अब दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए अहम साक्ष्य बन चुके हैं.