नई दिल्ली : इस साल भाई दूज का त्योहार 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन मनाया जा रहा है. ज्योतिषविदों की मानें तो इस साल भाई दूज का त्योहार बेहद खास रहने वाला है. संयोगवश 50 साल बाद सूर्य ग्रहण के अगले ही दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है. 25 अक्टूबर 2022 को लगा आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में कई जगहों पर दिखाई दिया था. लेकिन त्योहार मनाने वाले लोगों को इससे चिंता करने की जरूरत नहीं है. भाई के माथे पर भाग्योदय का तिलक करने से आपका रिश्ता और मजबूत होगा.
भाई दूज पर ग्रहों की चाल
ज्योतिषविदों का कहना है कि भाई दूज के त्योहार पर तीन प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहने वाले हैं. वक्री गुरु मीन राशि में, शुक्र तुला राशि में और शनि मकर राशि में हैं. तीन बड़े ग्रहों के स्वराशि में होने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है.
भाई दूज की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि बुधवार, 26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से लेकर अगले दिन गुरुवार, 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. ऐसे में आप तिथि के शुभारंभ से लेकर इसके समापन के बीच किसी भी वक्त त्योहार मना सकते हैं.
भाई दूज की सामग्री
भाई दूज के दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उसकी आरती उतारती हैं. इस दौरान पूजा में कुछ खास चीजों को रखना जरूरी होता है. भाई दूज पर भाई को तिलक करते वक्त थाली में सिंदूर, फूल, अक्षत (चावल के दाने), सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास, केला और एक दीपक जरूर रखना चाहिए. इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है.
भाई दूज मनाने की विधि
सुबह स्नानादि के बाद बहनें अपने ईष्ट देव, भगवान विष्णु या गणेश की पूजा करें. फिर शुभ मुहूर्त देखकर बहनें भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखती हैं. उसके हाथ पर कलावा बांधकर माथे पर रोली का तिलक करती हैं और तिलक पर अक्षत लगाती हैं.
इसके बाद भाई का माखन-मिश्री या मिठाई से मुंह मीठा करवाया जाता है. अंत में भाई की आरती उतारकर उसकी दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है. इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं.