जयपुर: राजस्थान में सत्ता गंवाने के बाद से ही अशोक गहलोत से राहुल गांधी नाराज चल रहे हैं. बताते हैं कि कैंडिडेट्स को चुनने में गहलोत ने अपनी चलाई जबकि कांग्रेस आलाकमान बड़ी संख्या में विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटना चाह रहा था. आज जयपुर में भाजपा के भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो गहलोत की मुस्कुराते हुए तस्वीर सामने आई. परंपरा के तहत पूर्व सीएम को बुलाया जाता है लेकिन मंच की तरफ जब कैमरा जूम हुआ तो गहलोत केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बगल में बैठे हंस रहे थे. दोनों के बीच मानहानि मामले को लेकर तनातनी चल रही है और चुनाव के समय काफी तल्ख बयान भी आए. लेकिन आज की तस्वीर कांग्रेस आलाकमान को चुभ सकती है.
छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी है लेकिन पूर्व सीएम भूपेश बघेल की मुस्कुराते हुए तस्वीर नहीं आई. छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले नए सीएम के शपथ ग्रहण समारोह से भी एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई थी जब पीएम मोदी ने बघेल से हाथ मिलाया. लोगों ने आवाज भी सुनी थी पीएम कह रहे थे, ‘क्या बघेल जी…’. लेकिन पूर्व सीएम बघेल गंभीर मुद्रा में दिखाई दिए.
नजारा चौंकाना वाला
हां, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए चीफ मिनिस्टर भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचते हैं और अपने विरोधी गजेंद्र सिंह शेखावत के बगल में बैठते हैं. दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है. मानहानि का केस चल रहा है. गहलोत बार-बार शेखावत पर संजीवनी घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली में केस कर दिया. लेकिन आज शपथ ग्रहण से ठीक पहले एक मंच पर दोनों गर्मजोशी से मिलते और हंसते देखे गए. यही नहीं, रिपोर्टों में बताया गया है कि गहलोत पूर्व में विपक्ष के नेता राजेंद्र राठोड़ और सतीश पूनिया से भी बेहद आत्मीयता से मिले. राजनीति में काफी कुछ पर्सेप्शन से चलता है. ऐसे में मुस्कुराहट गहलोत पर भारी पड़ सकती है.
शिष्टाचार ठीक पर मुस्कुराहट!
वैसे, संभावना इस बात की ज्यादा है कि शेखावत और गहलोत की चेयर आसपास लगाई गई हो और शिष्टाचार के नाते गहलोत खड़े होकर भाजपा नेताओं से मिल रहे हों लेकिन मुस्कुराहट जरूर चौंकाती है. अगर किसी को न पता हो तो वह यही समझेगा कि इस नेता की पार्टी ने ही राजस्थान में सरकार बनाई है. आमतौर पर शपथ ग्रहण समारोह से दूसरे दल के नेता दूर ही रहते हैं, आते भी हैं तो कैमरे की नजरों में नहीं आते लेकिन अशोक गहलोत ने शायद नजीर पेश करने की कोशिश की है.
अब यह पार्टी आलाकमान पर है कि वह इस मुस्कुराहट को किस तरह देखता है. जब कांग्रेस ने पिछले दिनों हार पर समीक्षा बैठक बुलाई तो गहलोत भाजपा के ध्रुवीकरण को हार की वजह बताते रहे लेकिन खुद राहुल गांधी ने इसे नहीं माना था. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने तर्क रखा था कि अगर ऐसा होता तो वोट शेयर में अंतर मात्र 2 प्रतिशत नहीं रहता.
राहुल ने खुलकर कहा कि पुराने प्रत्याशियों को रीपीट करने के कारण राजस्थान में हार मिली, जबकि युवा उनसे नाराज थे. कई सीटों पर जीत का अंतर कम रहा है. बागी नेता भी कई सीटों पर हावी रहे और गहलोत उन्हें मना नहीं पाए. कांग्रेस आलाकमान इस बात से भी नाराज है कि गहलोत और उनकी टीम खुद को सूरमा मानकर चल रही थी. उनका अति-आत्मविश्वास पार्टी को ले डूबा. अब आज भाजपा के नेताओं से गहलोत मुस्कुराते हुए मिलते देखे गए. कहीं इसे गंभीरता से लिया गया तो राजस्थान कांग्रेस में आमूलचूल बदलाव देखने को मिल सकते हैं.