डेस्क। एक तरफ कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है तो बंग्लादेश के अस्पताल भेद भाव में लगे हैं। अखबार में छपी खबरों की माने तो बांग्लादेश में बिहारी मरीजों को नहीं देखा जा रहा है। बांग्लादेश में कोरोना के इलाज के लिए दो अस्पताल बनाए गए हैं। और इन दोनों अस्पतालों ने मलिन बस्तियों में रहने वाले बिहारी समुदाय के लोगों के इलाज से इंकार कर दिया है। आजादी के समय भारत के बिहार राज्ये में सांप्रदायिक हिंसा के बाद बांग्ला देश चले गए बिहारी मुस्लिम आज भी जिनेवा कैंप में नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी बिहारी समुदाय के लोग दशकों से सरकारी भेदभाव की शिकायत करते रहे हैं। ये लोग बांग्लाीदेश की सबसे गंदी मलिन बस्तीा में रहते हैं, जहां सरकारी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। इन कैंपों में दो लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है जब इन लोगों को सरकारी अस्पातालों ले जाया तो उन्हों ने यह कहकर भर्ती करने से मना कर दिया कि हालत ‘ज्याजदा खराब’ नहीं है। आपको बता दें कि करीब 5 लाख बिहारी समुदाय के लोग बांग्लायदेश की 116 बस्तियों में रहते हैं। हालांकि, इस आरोप पर बांग्लाउदेश के हेल्थह डिपार्टमेंट की डेप्युाटी हेड नसीमा सुल्ता1ना कहती हैं कि किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।