नई दिल्ली: गर्मी के कहर से पूरी दुनिया परेशान है. इंसानों की सेहत के साथ-साथ पर्यावरण पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में पूरी दुनिया कोशिश कर रही है कि किसी भी तरह से वातावरण से सीओ2 को कम किया जाए. लेकिन ये इतना आसान नहीं है. हाल ही में स्टेट ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (CDR) की रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया को अगर पेरिस समझौते की सीमा का पालन करना है तो सदी के मध्य तक उसे वातावरण से लगभग 9 अरब टन सीओ2 कम करना होगा.
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
इस रिसर्च रिपोर्ट को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड एनवायरनमेंट की ओर से तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि कार्बन हटाने के तकनीकों को बढ़ाते समय हमें ध्यान रखना होगा कि इंसानों के भविष्य की खाद्य सुरक्षा, पीने के साफ पानी की आपूर्ति, जैव विविधता और स्वदेशी लोगों के लिए सुरक्षित आवास जैसे मुद्दे प्रभावित ना हों. इस रिसर्च रिपोर्ट को 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया गया है.
फिलहाल कितने टन सीओ2 हटाया जा रहा
CDR की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल हर साल सिर्फ 2 अरब टन कार्बन ही हटाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात कि ये जो हर साल 2 अरब टन वातावरण से कार्बन कम किया जा रहा है उसके लिए पेड़ लगाने जैसे पारंपरिक तरीके अपनाए जा रहे हैं. जबकि, सीडीआर द्वारा बताई गई नई विधियों जैसे- अगर बायोचार, कार्बन कैप्चर, उन्नत रॉक अपक्षय और भंडारण के साथ बायोएनर्जी जैसे तरीकों हर साल लगभग 13 लाख टन तक कार्बन हटाया जा रहा है. ये पूरे का 0.1 फीसदी से भी कम है.
हम सही रास्ते पर नहीं हैं
CDR की रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने दावा किया कि दुनिया का डीकार्बोनाइजेशन पेरिस तापमान के लक्ष्य तक करने के लिए हम सही दिशा में नहीं हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि हमें CDR के साथ-साथ सभी स्तरों पर शून्य-उत्सर्जन समाधानों में अब निवेश बढ़ाने की जरूरत है. इसके अलावा दुनिया भर की सरकारों को CDR को स्थायी रूप से बढ़ाने के लिए परिस्थितियां बनाने में निर्णायक भूमिका निभानी होगी.