भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 3 दिसंबर को मतगणना है. कई एग्जिट पोल में इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़े मुकाबले की बात कही गई है. 2018 में निर्दलीय और छोटे दल किंगमेकर साबित हुए थे.
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 109 सीटों पर जीत मिली थी, तो कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बेशक कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीट मिली थी, लेकिन बहुमत (116 सीट) के लिए उसे दो और विधायकों के समर्थन की जरूरत थी. बाद में निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देकर किंगमेकर की भूमिका निभाई थी.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी 2018 जैसी स्थिति बन सकती है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस का फोकस उन निर्दलीय और छोटे दलों के प्रत्याशियों पर है जिनकी जीत कन्फर्म मानी जा रही है. मध्य प्रदेश में ऐसी 6-7 सीटें हैं जहां इन उम्मीदवारों को जीत मिल सकती है. हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुछ नाम जो किंगमेकर बन सकते हैं.
नारायण त्रिपाठी – चुनाव की घोषणा से पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से बीजेपी ने मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट काट दिया था. बागी नारायण त्रिपाठी ने विंध्य विकास पार्टी का गठन किया. वह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और इनकी जीत तय मानी जा रही है.
सुरेंद्र सिंह शेरा – बुरहानपुर विधानसभा सीट से अभी सुरेंद्र सिंह शेरा (निर्दलीय) विधायक हैं. यहां बीजेपी ने अर्चना चिटनिस को टिकट दिया तो बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह चौहान नाराज होकर निर्दलीय खड़े हो गए. इस बार हर्ष सिंह चौहान को भी जीत का दावेदार माना जा रहा है.
प्रेमचंद गुड्डू – कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने अलोट विधानसभा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने इस पर विचार नहीं किया. इसके बाद वह निर्दलीय ही चुनावी मैदान में कूद गए. इस इलाके में इनकी अच्छी पकड़ है. माना जा रहा है कि गुड्डू यहां जीत सकते हैं.
अंतर सिंह दरबार – अंतर सिंह दरबार महू विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. पहले अंतर सिंह कांग्रेस में थे, लेकिन टिकट न मिलने पर वह बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए. यहां से अंतर सिंह को ही जीत का दावेदार माना जा रहा है.
केदारनाथ शुक्ला – केदारनाथ शुक्ला का नाम पेशाबकांड की वजह से चर्चा में आया था. इस घटना की वजह से बीजेपी ने केदारनाथ का टिकट काटकर सांसद रीति पाठक को यहां से उतारा है. नाराज केदारनाथ शुक्ला निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं.