नई दिल्ली : प्रदेश चुनाव को लेकर एग्जिट पोल के अनुमानों में फिर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार के आसार हैं. इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को 47 फीसदी वोट शेयर के साथ 140 से 162 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. इस एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 68 से 90 सीटों पर सिमटती दिख रही है. एग्जिट पोल के अनुमानों पर उठते सवाल, दावे-प्रतिदावे और सियासी बयानबाजियों का दौर चल रहा है. 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा की तस्वीर कैसी रहती है, ये 3 दिसंबर को चुनाव नतीजों के ऐलान के साथ ही साफ हो जाएगा. लेकिन एग्जिट पोल के अनुमानों में महिला वोटर्स गेमचेंजर बनकर उभरी हैं.
इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस पर बीजेपी को मिलती दिख रही छह फीसदी वोट की लीड में महिला मतदाताओं का रोल अहम है. बीजेपी महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाएं वोट में कैश कराने में सफल होती नजर आ रही है. इस एग्जिट पोल के मुताबिक 50 फीसदी महिलाओं ने बीजेपी को वोट किया है. कांग्रेस को 40 फीसदी महिलाओं के वोट मिले हैं वहीं अन्य को भी 10 फीसदी महिलाओं के वोट गए हैं. बीजेपी ने महिला वोट की लड़ाई में कांग्रेस पर 10 फीसदी वोट की लीड ले ली है तो इसके पीछे वजह क्या लाडली बहना योजना ही है? चर्चा इसे लेकर भी छिड़ी हुई है.
मध्य प्रदेश सरकार ने इसी साल लाडली बहना योजना शुरू की थी जिसके तहत लाभार्थियों को 1250 रुपये महीने दिए जा रहे हैं. कांग्रेस ने लाडली बहना की काट के लिए नारी सम्मान योजना शुरू करने का वादा किया. कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इस योजना के तहत हर महिला को 1500 रुपये हर माह देने का वादा किया. बीजेपी ने लाडली बहना योजना को बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच लेकर गई और कांग्रेस की घोषणा की काट के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोर्चा संभाल लिया.
नारी सम्मान पर लाडली बहना भारी
सीएम शिवराज ने कमोबेश हर जनसभा में लाडली बहना योजना के तहत दी जा रही 1250 रुपये की राशि को चरणबद्ध तरीके से 3000 रुपये प्रति माह करने का ऐलान किया. बीजेपी ये मैसेज देने में भी सफल रही कि हम तो कांग्रेस की तुलना में डबल पैसे देने की तैयारी में हैं लेकिन कांग्रेस सरकार आ गई तो इस योजना को बंद कर देगी. अब एग्जिट पोल के अनुमान अगर महिला वोट की लड़ाई में बीजेपी को कांग्रेस पर 10 फीसदी लीड मिलती नजर आ रही है तो इसके पीछे भी यह बड़ी वजह बताया जा रहा है. कांग्रेस की नारी सम्मान योजना के वादे पर शिवराज की लाडली बहना योजना भारी पड़ी और महिला मतदाताओं ने बीजेपी को निर्णायक बढ़त दिला दी.
एमपी में कितनी लाडली बहनें
मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों का फोकस महिला वोट पर था. कांग्रेस की रणनीति बीजेपी के लंबे शासनकाल को लेकर एंटी इनकम्बेंसी कैश कराने की थी तो वहीं सत्ताधारी दल को लाडली बहना योजना से गेम बदलने की उम्मीद थी. चुनावी साल में सीएम शिवराज ने अपने तरकश से लाडली बहना योजना निकाली और अब बीजेपी इसे वोटों में कैश कराने में सफल नजर आ रही है. इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश में जाति-वर्ग-धर्म की सीमा से परे 1 करोड़ 31 लाख से अधिक महिलाओं को मिल रहा है. इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी अगर कांग्रेस का परंपरागत वोटर माने जाने वाले एससी-एसटी वोट में भी सेंध लगाती नजर आ रही है तो इसके पीछे लाडली बहना योजना बताई जा रही है.
क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने इसे लेकर कहा कि ये लड़ाई योजना के मिल रहे लाभ और लाभ देने के वादे के रूप में देखी जानी चाहिए. कांग्रेस ने देने का वादा तो किया लेकिन बीजेपी पहले से ही दे रही है. सरकार बदली तो आने वाली सरकार क्या करेगी, क्या शुरू करेगी, क्या बंद करेगी ये किसी को नहीं पता. एग्जिट पोल इस बात का संकेत है कि जनता ने वर्तमान पर भरोसा किया, भविष्य के वादों पर नहीं. बीजेपी ने न सिर्फ लाडली बहना को मुद्दा बनाया, पार्टी खुद को क्रेडिबल साबित करने के लिए साढ़े 18 साल की अपनी सरकार के दौरान गांव की बेटी और लाडली लक्ष्मी समेत महिलाओं पर केंद्रित 21 योजनाओं की याद भी दिलाती रही.
मध्य प्रदेश ही नहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी मौजूदा सरकार ही सत्ता में वापस लौटती नजर आ रही है. तीनों राज्यों में सत्ताधारी दल के सत्ता बरकरार रखने के संकेत क्या बता रहे हैं? बात इसे लेकर भी हो रही है. एग्जिट पोल नतीजों में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार एक टर्म से अधिक शासन की परंपरा कायम रखती नजर आ रही है तो वहीं अशोक गहलोत की सरकार भी हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन का राजस्थान का रिवाज बदलती दिख रही है. इन दोनों राज्यों में भी मौजूदा सरकार के ही रिपीट होने के पीछे छत्तीसगढ़ गृह लक्ष्मी योजना, सस्ते सिलेंडर और चिरंजीव योजना के तहत राजस्थान में 50 लाख के हेल्थ इंश्योरेंस वाले दांव को प्रमुख वजह बताया जा रहा है. इन दोनों राज्यों में भी भविष्य के वादों पर वर्तमान भारी पड़ता नजर आ रहा है