गैरसैंण : 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर अस्पताल, डंडी कंडी में आते मरीज और सामान्य व विशेषज्ञों डॉक्टरों की कमी। गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के साथ साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की तस्वीर भी पेश की। प्रदेश में डॉक्टरों की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत एक बार अपने उत्तर भाषण में भी घिर गए। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में चिकित्सकों और बाकी स्टाफ की कमी को दूर करने का प्रयास कर रही है। जल्द ही 300 एमबीबीएस डॉक्टर मिलने जा रहे हैं।
प्रश्नकाल में झबरेड़ा के विधायक वीरेंद्र कुमार जाती ने इस प्रकरण को उठाया था। उन्होंने पूछा था कि क्या चिकित्सकों की कमी के कारण क्षेत्रीय जनता स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं? स्वास्थ्य मंत्री के उत्तर में जी नहीं लिखा देख वीरेंद्र का पारा चढ़ गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चिकित्सकों के स्वीकृत पदों के मुकाबले 400 से ज्यादा पद खाली हैं। हरिद्वार जिले में तो हालात बहुत ही खराब है। अपनी मेज पर मुक्के मारते हुए जाती ने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी का 30 प्रतिशत अकेले हरिद्वार में ही है।
कपकोट से भाजपा विधायक सुरेश गढ़िया ने कहा कि उनका क्षेत्र सबसे दुरस्थ क्षेत्र है। लोगों को 100 से 150 किलोमीटर दूर तक उपचार के लिए आना पड़ता है। कुछ समय पहले स्वास्थ्य मंत्री ने इस अस्पताल में एक रेडियोलॉजिस्ट नियुक्त करने का आदेश किया था, लेकिन आज तक वो डॉक्टर आए ही नहीं।
उत्तरकाशी में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं
यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में विशेषज्ञ डॉक्टर तक नहीं है। धीरे-धीरे कुछ और विधायकों ने स्वास्थ्य मंत्री की घेराबंदी शुरू कर दी। ज्वालापुर के विधायक इंजीनियर रवि बहादुर ने कहा कि, मंत्री अपने उत्तर भाषण में यह कहते हैं कि डॉक्टरों की कमी के कारण के क्षेत्रीय जनता को कोई असुविधा नहीं है। और डॉक्टर तो हैं ही नहीं। विकासनगर से भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मंत्री से पूछा कि वो बताएं कि प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या कितनी है? गढ़िया के सवाल के जवाब में मंत्री ने भी माना कि कुछ क्षेत्रों में वास्तव में लोगों को अस्पताल के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है। डंडी-कंडी में भी आना पड़ता है। रेडियोलाजिस्ट को भेजने का प्रयास किया जा रहा है।
चार लाख वेतन पर सर्जन रखने को तैयार
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने निर्णय किया है कि चार लाख मासिक मानदेय पर 11-11 महीने के अनुबंध पर सर्जन को नियुक्त किया जाएगा।केंद्र सरकार के निर्देश के अनुसार उत्तराखंड में भी राज्य सरकार हर जिले में एक-एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर काम कर रही है। इससे आने वाले कुछ वर्षों में डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा सकेगा।