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BJP को मिली जातीय जनगणना की ‘काट’

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
14/06/23
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय
BJP को मिली जातीय जनगणना की ‘काट’

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नई दिल्ली : बीजेपी ने जातीय जनगणना की मांग की काट ओबीसी आरक्षण लागू करने में गड़बड़ी से ढूंढ लिया है. जातीय जनगणना के विपक्षी दलों की मांग को कुंद करने और उन्हें उन्हीं के घर में ही घेरने का फॉर्मूला बीजेपी के हाथ लग गया है. बंगाल, राजस्थान, बिहार और पंजाब पर राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट के आड़ में बीजेपी का विरोधी दलों को ओबीसी पॉलिटिक्स पर घेरने का मौका मिल गया है.

बंगाल में ममता सरकार का ओबीसी आरक्षण में मुस्लिमों को तरजीह देना, राजस्थान के 8 जिलों में ओबीसी का प्रमाण पत्र नहीं मिलना, बिहार में छोटा नागपुर महतो कुर्मी की आरक्षण से महरूम रखना और नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट देने में कोताही करना, पंजाब में ओबीसी को आरक्षण बहुत कम देना. ये सभी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट है.

ओबीसी आरक्षण में गड़बड़ी बनी बीजेपी का हथियार

ओबीसी कमीशन की इसी रिपोर्ट को हथियार बनाकर बीजेपी एक साथ ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला कर रही है. ओबीसी आरक्षण को लागू करने में गड़बड़ी का ये एक ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल बीजेपी आरक्षण आंदोलन के चैंपियन माने जाने वाले नेताओं की जातीय जनगणना की मांग को कुंद करने में लगा रही है.

नेशनल ओबीसी कमिशन ने बैठे बिठाए बीजेपी के हाथ में एक ऐसा हथियार दे दिया है जिसके जरिए पार्टी आरक्षण की राजनीति के पुरोधाओ के खिलाफ करना शुरू कर दिया है. बंगाल के पंचायत चुनाव में ये मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है. बीजेपी बंगाल प्रभारी अमित मालवीय ने टीवी9 भारतवर्ष से कहा, ‘हम इस मुद्दे को पूरे जोर शोर से बंगाल पंचायत चुनाव में भी उठाएंगे. इसके खिलाफ हम हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे, हम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे.’

ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग करेगी BJP

दरअसल राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने हाल में बंगाल की ममता सरकार के उन फैसलों पर आपत्ति जताई है जिसमें सूबे के कुल 179 ओबीसी जातियों की सूची में 118 जातियां मुस्लिम ओबीसी से हैं, जबकि लिस्ट में हिंदू ओबीसी की संख्या महज 61 है. इसके साथ ही राज्य में ओबीसी आरक्षण 17% दिया जाता है, जिसको बढ़ाकर 22% करने की मांग भी बीजेपी करने लगी है.

बीजेपी का तर्क है कि बंगाल में आरक्षण की सीमा 50% हो सकती है, जबकि अब तक वहां 45% आरक्षण देने का ही प्रावधान है. आयोग के मुताबिक बंगाल में सरकारी नौकरियों में भर्ती में A कैटेगरी के ओबीसी वर्ग के नियुक्ति में 91.5 % लाभ मुस्लिम ओबीसी को मिला है, जबकि हिन्दू ओबीसी को मात्र 8.5% ही फायदा मिल पाया है.

इस पर बंगाल सह प्रभारी अमित मालवीय ने टीवी9 भारतवर्ष से कहा कि यहां बांग्लादेशी और रोहिंग्या को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है और बंगाल के हिंदू ओबीसी डिप्राइव हैं, हम इस लड़ाई को हर स्तर पर लड़ेंगे.

कांग्रेस को भी घेरने की हुई तैयारी

बीजेपी ने एक तीर से कई निशाना साधते हुए पिछड़ा आयोग के रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस को भी कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी राज्य राजस्थान के 8 जिलों में पिछड़ों को आरक्षण प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाते, जिससे उन आठों जिलों के नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी को सरकारी नौकरियों और अच्छे संस्थाओं में एडमिशन लेने से महरूम रह जाते हैं.

राजस्थान के 8 जिले – बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, चित्तौड़गढ़, पाली, और राजसमंद के युवाओं के नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट नहीं बनाए जा रहे हैं. राज्य में 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है और सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के बड़े ओबीसी चेहरा हैं. लिहाजा बीजेपी ने अपने कद्दावर ओबीसी नेताओं को आगे हमला तेज कर दिया है.

बिहार में नीतीश सरकार भी घिरी

इतना ही नहीं ओबीसी कमिशन ने बिहार सरकार को भी ओबीसी प्रमाण पत्र देने में किए जा रहे गड़बड़ी को उजागर किया है. पिछड़ा आयोग ने पाया है कि नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाण पत्र बनाने में वार्षिक आय की गणना में कृषि आय को जोड़ा जाना नियम के विरुद्ध है. ये आरोप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्वयं की जाति कुर्मी महतो को आधार बनाकर लगाई गई है.

आयोग ने 10 मई को पत्र लिखकर बिहार सरकार से उसके 2014 के बिहार सरकार के फैसले में संशोधन कर कुर्मी महतो को आरक्षण सर्टिफिकेट देने की मांग की है. वहीं ओबीसी कमीशन ने पंजाब में ओबीसी समाज को महज 12% आरक्षण देने के जगह 22% आरक्षण देने की मांग की है.

इस क्रम में मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शिमला में पार्टी कार्यकर्ताओं को कहा कि जिस तरह से बंगाल में मुस्लिम तुष्टिकरण की आड़ में ओबीसी हितों की अनदेखी की गई है, जिस तरह राजस्थान, बिहार और पंजाब में ओबीसी वर्ग की अनदेखी की जा रही है इससे साफ है कि विपक्षी दल केवल वोट बैंक पॉलिटिक्स को ध्यान में रखकर ही काम कर रहे हैं.

कांग्रेस ने आरोपों पर क्या कहा?

हालांकि, कांग्रेस के नेता इसे बीजेपी की हताशा बता रहे हैं. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा के लिए लगातार कोशिश करती रही है, राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस जातीय जनगणना करवाना चाहती है, हम ये भी चाहते कि आरक्षण की कैप बढ़ाकर 50% किया जाना चाहिए.

इस मुद्दे को उठाते हुए बीजेपी इस बात को प्रमुखता से उठाने की कोशिश कर रही है कि ओबीसी कमीशन बनाने की सालों पुरानी मांग को आजादी के 73 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया. बीजेपी नेताओं का मानना है कि जातीय जनगणना की मांग करने वाले नेता राष्ट्रीय ओबीसी आयोग की रिपोर्ट पर चुप्पी साधे बैठे हैं जो ये दिखता है कि वो इस पूरे मसले को लेकर गंभीर नहीं है.

बहरहाल पिछले कुछ सालों में विपक्षी दलों द्वारा पिछड़ों और दलितों को लुभाने के लिए जातीय जनगणना की मांग जोर शोर से की जा रही है. ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के आड़ में बीजेपी बंगाल में ममता, राजस्थान में कांग्रेस,बिहार में नीतीश कुमार और पंजाब में आप और कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की कोशिश कर रही है.

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