नई दिल्ली: मोदी सरकार के बीते 10 साल के कार्यकाल में भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए डिफेंस सेक्टर को मजबूत करने पर फोकस किया है. चीन के खतरे से निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय ने खरबों रुपए की डिफेंस डील की है. 2024 में नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सेना की मजबूती के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है. भारत ने इस दौरान न सिर्फ सुपरपावर देशों के साथ डील की है बल्कि वैश्विक शांति और भारत के हितों को देखते हुए कुछ छोटे-छोटे देशों के साथ भी सैन्य समझौता किया है. अमेरिका, रूस और फ्रांस के अलावा कई देशों से भारत का सैन्य समझौता हुआ है. उसकी लिस्ट यहां देखें.
केंद्र की मोदी सरकार देश की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद है. 2024 की बात करें तो रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 92000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कई प्रमुख रक्षा सौदों को मंजूरी दी है. ये निवेश अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
हाल के रक्षा सौदों की मंजूरी की बात करें तो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा समर्थित, Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े के एक बड़े उन्नयन के लिए मंजूरी हासिल कर रहा है.
इसी साल फरवरी में 60000 करोड़ रुपये की इस परियोजना का लक्ष्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और हथियार प्रणालियों को एकीकृत करना है. नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर तैनाती के लिए 450 KM की मारक क्षमता वाली 220 से अधिक विस्तारित दूरी वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इंतजाम किया गया है. करीब 19500 करोड़ रुपये का ये सौदा ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए अब तक का सबसे बड़ा कांट्रैक्ट है.
इसी दौरान भारतीय वायु सेना (IAF) में मिग-29 लड़ाकू विमानों के मौजूदा बेड़े के लिए नए उन्नत इंजनों के निर्माण को मंजूरी दी गई है. जिसका उत्पादन HAL द्वारा रूस के सहयोग से लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा.
रणनीतिक क्षेत्रों में भारत के रडार कवरेज को बढ़ाने और ड्रोन और विमानों द्वारा संभावित हमलों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए बेहद हाई पावर वाले रडार और L-70 एयर डिफेंस गन के नए एडिशन के अधिग्रहण को मंजूरी दी गई है. प्रत्येक परियोजना का मूल्य लगभग 6,000 करोड़ रुपये है. 60,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना का लक्ष्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और हथियार प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से विमान की क्षमताओं को बढ़ाना है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा समर्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े के एक बड़े उन्नयन के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी हासिल की थी. 60000 करोड़ रुपये की इस परियोजना का लक्ष्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और हथियार प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से विमान की क्षमताओं को बढ़ाना है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को हथियारों से लैस करने के अलावा सरकार ने लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इंजन तैयार करने का फैसला लिया था. वायु सेना (IAF) में मिग-29 फाइटर जेट के मौजूदा बेड़े के लिए नए उन्नत इंजनों के निर्माण के लिए एक परियोजना को भी हरी झंडी दी थी.
भारत की रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाते हुए, सरकार ने उच्च शक्ति वाले रडार और L-70 वायु रक्षा बंदूकों के नए संस्करणों के अधिग्रहण के लिए दो अन्य परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है. लार्सन एंड टुब्रो (L&T) कुछ विदेशी तकनीक के साथ इन प्रणालियों का निर्माण करेगी. वहीं IAF को जल्द ही 13,000 करोड़ रुपये के हाई-टेक रडार और एयर डिफेंस गन भी मिल जाएंगी.
वायु सेना चीन-पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर राडार की मौजूदा श्रृंखला को बदलने और बढ़ाने के लिए नए राडार खरीदेगी. इस कदम का उद्देश्य रणनीतिक क्षेत्रों में भारत के रडार कवरेज को मजबूत करना है. कैबिनेट कमेटी ने करीब 7000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी मेड इन इंडिया क्लोज-इन वेपन सिस्टम परियोजना को भी मंजूरी दे दी है. वायु रक्षा बंदूकों के व्युत्पन्न पर आधारित यह प्रणाली ड्रोन और विमानों द्वारा संभावित हमलों के खिलाफ महत्वपूर्ण संपत्तियों और बिंदुओं को बढ़ी हुई सुरक्षा प्रदान करेगी.
PIB की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के बीते 10 सालों के राज में 2014 से 2024 तक भारत ने करीब 24 देशों के साथ रक्षा समझौते किए हैं. इन देशों में कुछ नाम आपको चौंका देंगे. अमेरिका, रूस और फ्रांस के अलावा कई देशों से भारत का सैन्य समझौता हुआ है. इसके साथ ही भारत के बाहर मौजूद मिलिट्री बेसों की ताकत भी बढ़ाई गई है.