नई दिल्ली : गुरुग्राम लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को इस बार गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। हालात कुछ ऐसे हैं कि गुरुग्राम में बीजेपी के दो विधायक राव इंद्रजीत सिंह के चुनाव प्रचार में नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा पार्टी के कुछ बड़े नेता भी उनके चुनाव प्रचार में सिर्फ नाम मात्र के लिए ही दिख रहे हैं।
2019 में राव इंद्रजीत सिंह की जीत का अंतर लगभग चार लाख वोटों का रहा था। तब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार कैप्टन अजय यादव को हराया था। राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम सीट से लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस बार जिस तरह की गुटबाजी बीजेपी में दिखाई दे रही है, क्या उससे उनकी राह मुश्किल हो सकती है?
कांग्रेस ने गुरुग्राम सीट से पूर्व अभिनेता राज बब्बर को टिकट दिया है। पंजाबी समुदाय से आने वाले राज बब्बर से कांग्रेस को उम्मीद है कि उनके स्टारडम का फायदा पार्टी को मिल सकता है।
इंडियन नेशनल लोकदल ने इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या को देखते हुए हाजी सोहराब खान को उम्मीदवार बनाया है जबकि जननायक जनता पार्टी ने पॉपुलर हरियाणवी गायक राहुल यादव उर्फ फाजिलपुरिया को टिकट दिया है।
1957 में भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़कर चुनाव जीते थे। फिल्म स्टार शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद भी 1957 में इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
कौन हैं राव इंद्रजीत सिंह?
राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल यानी दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उन्हें अहीरवाल का राजा भी कहा जाता है। उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। राव इंद्रजीत सिंह पांच बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। तीन बार गुरुग्राम सीट से जीत दर्ज करने के अलावा वह दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से भी सांसद रहे हैं।
राव इंद्रजीत सिंह जब कांग्रेस में थे तब भी उनका बड़ा कद था और वह मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री थे। बीजेपी में आने के बाद भी वह पिछले 10 साल से मोदी सरकार में मंत्री हैं। राव इंद्रजीत सिंह 2009 में गुरुग्राम से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।