नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के साथ आने से मिली जीत से उत्साहित केंद्र सरकार अब ओबीसी को साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही। ओबीसी से जुड़े उन सभी मुद्दों को तेजी से सुलझाने में जुट गई है, जो वर्षों से लंबित थे।
इनमें ओबीसी छात्रों को मिलने वाली पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की पात्रता के दायरे को विस्तार देने का भी एक मुद्दा था। इसमें अभी सिर्फ ढाई लाख रुपये सालाना आय वाले परिवारों के बच्चे ही पात्र थे, लेकिन सरकार अब पात्रता के दायरे को आठ लाख रुपये सालाना करने की तैयारी में है।
क्रीमी लेयर की आयु सीमा बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है। अगले महीने ही महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की इस पहल का बड़ा लाभ उसे महाराष्ट्र के चुनावों में मिल सकता है, जहां ओबीसी की एक बड़ी संख्या है।
केंद्र सरकार ने इसके साथ ही ओबीसी को साधने के लिए 2017 से बढ़ाए नहीं गए क्रीमीलेयर के दायरे को भी विस्तार देने की पहल की है, जिसमें इसे आठ लाख से बढ़ाते हुए करीब 12 लाख तक करने का प्रस्ताव है। हालांकि, ओबीसी संगठनों की मांग इसे पंद्रह लाख रुपये तक करने की है।
क्या है क्रीमी लेयर?
क्रीमी लेयर में आने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। वंचित लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिले, इसलिए ही क्रीमी लेयर का प्रावधान किया गया है। अभी आठ लाख रुपये से अधिक साला इनकम वाले परिवार को क्रीमी लेयर का हिस्सा माना जाता है। इसके अलावा, ग्रुप ए, बी सेवा में काम करने वाले अधिकारियों के बच्चे भी इसमें आते हैं। साथ ही डॉक्टर, इंजीनियर और वकीलों के बच्चे भी इसके हिस्से में आते हैं।
सस्ते ऋण का एलान
माना जा रहा है कि इस पहल से ओबीसी की एक बड़ी आबादी को इसका लाभ मिलेगा। ओबीसी के तहत आने वाली पिछड़ी जातियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) ने हाल ही में उनके लिए एक सस्ते ऋण का भी एलान किया है, जिसमें उन्हें पांच प्रतिशत सालाना ब्याज पर ऋण दिया जाएगा, जिससे वह अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। आयोग ने विश्वास योजना के तहत इन्हें ऋण देने की प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी दी। ओबीसी को लेकर केंद्र का यह प्रेम कोई नया नहीं है।