चंडीगढ़ : हरियाणा में विधानसभा चुनाव का एलान होते ही राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। बीजेपी जहां फिर से सत्ता बरकरार रखने का पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि इस दफा प्रदेश की जनता उसके साथ है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन के आधार पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने हरियाणा में कांग्रेस से पांच सीट मांगकर उसकी परेशानी बढ़ा दी है। हरियाणा में एक सितंबर से चुनावी माहौल पूरी तरह से गरमा जाएगा। राज्य में पांच सितंबर से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इस बार बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला
मौजूदा माहौल को देखते हुए इस बार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। राज्य में चुनावी माहौल की बात की जाए तो इस समय प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं अंतिम चरण में हैं और मुख्यमंत्री की ओर से की गई कई घोषणाएं अभी पूरी नहीं हुई हैं। खुद मुख्यमंत्री यह बात कह चुके हैं कि चुनावों की घोषणा इतनी जल्दी होगी, इसका आभास उन्हें नहीं था।
बीजेपी ने सभी 90 सीटों पर कराया चुनावी सर्वे
चुनावी तैयारियों की बात की जाए तो बीजेपी सभी 90 हलकों में चुनावी सर्वे करवा चुकी है। पार्टी के पर्यवेक्षकों की टीम चुनावी सर्वे रपट के आधार पर धरातल पर जांच-पड़ताल भी कर चुकी है। पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की रैलियों का कार्यक्रम भी तय किया जा चुका है। बीजेपी पिछले करीब एक माह से चुनावी तैयारी के तहत काम कर रही है।
दूसरी तरफ, विपक्षी दल कांग्रेस सभी विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के दावेदारों से आवेदन लेने की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। कांग्रेस के पास अभी तक 2,556 आवेदन आए हैं। पार्टी नेता दीपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला की ओर से प्रदेश में रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। कांग्रेस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की रथयात्रा के आयोजन का एलान कर चुकी है।
वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन के आधार पर समाजवादी पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस से पांच सीट पर टिकट मांगकर नए समीकरणों को जन्म दे दिया है। समाजवादी पार्टी की यादव तथा मुस्लिम बाहुल्य दस सीटों पर नजर है, जिनमें से पांच सीट की मांग की गई है। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ये सीट सपा को देने से इनकार कर चुके हैं। हरियाणा में अगर सपा को सीटें नहीं मिली तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। उधर, पंजाब के बाद हरियाणा की राजनीति में अपनी जड़े मजबूत करने में जुटी आम आदमी पार्टी पिछले कई दिनों से प्रदेश में विधानसभा क्षेत्र स्तर पर रैलियों का आयोजन कर रही है।
मिलकर रैलियां करेंगे दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर
साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ गठबंधन में सत्ता की हिस्सेदार रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। जजपा ने आजाद समाज पार्टी (आसपा) के साथ गठबंधन किया है। आसपा के साथ हरियाणा में दलित समुदाय के लोग जुड़े हुए हैं। दुष्यंत चौटाला और आसपा के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद हरियाणा में मिलकर रैलियां करेंगे। इसका सीधा नुकसान इनेलो-बसपा गठबंधन को हो सकता है। हरियाणा में करीब दो दशक से हाशिए पर चल रही इनेलो हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन कर चुकी है।