देहरादून। उपलब्धि, उम्मीद और आरोप। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव का प्रचार इन तीन बिंदुओं आकर टिक गया है। जहां भाजपा केंद्र और राज्य सरकार के दस साल की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जा रही है। वहीं कांग्रेस समेत बाकी विपक्ष सत्ता में आने पर दी जाने वाले सुविधाओं के आधार पर समर्थन मांग रहा है।
उपलब्धि और उम्मीदों के द्वंद के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो चुका है। अब जबकि मतदान के लिए केवल महज दस दिन ही बाकी रह गए हैं, चुनाव प्रचार में तेजी आने लगी है। सभी राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए जनता के बीच अपनी बात को रख रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी जनता से कर रही है कई नए वादे
कांग्रेस केंद्र और राज्य सरकार की कुछ नीतियों को जनविरोधी ठहराते हुए प्रमुखता से प्रचारित कर रही है। इसके साथ ही कांग्रेस हर शिक्षा युवा को पक्की नौकरी, एक लाख की अप्रेटिंस, किसानों को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य देने को कानूनी व्यवस्था लागू करने, सामाजिक-आर्थिक समानता का वादा कर रही है।
भाजपा चुनाव में दस साल की योजनाएं रख रही
भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दस साल में किए गए फैसलों और योजनाओं को रख रही है। दस साल के कार्यकाल के आधार पर भाजपा मतदाताओं से राज्य की पांचों सीटों पर कम खिलाने की गुजारिश कर रही है। धामी सरकार के प्रमुख फैसलों में नकल विरोधी कानून, यूसीसी भी है।
केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों की असलियत जनता के सामने आ चुकी है। समाज के हर जरूरतमंद वर्ग के हितों की रक्षा और उनके विकास के लिए नीतियां लागू की जाएंगी।
उक्रांद, बसपा-निर्दलीय की झोली में कई वादे
उक्रांद, बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों की झोली में अपनी तयशुदा मुद्दे हैं। उक्रांद सख्त भू कानून, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने, सख्त मूल निवास कानून, गढ़वाली-कुमाउंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने, कर्मचारियों को पुरानी पेंशन, सेना में वन रैंक वन पेंशन को पारदर्शी तरीके से लागू कराने का वादा कर रहा है। बसपा का मुख्य वादा राज्य में एससी-एसटी वर्ग के हितों की रक्षा है। निर्दलीय भी कई वादों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।