रायपुर : नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनावों पर राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की खास नजर हैं। इन तीनों राज्यों को अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी बताया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में दो चरण में चुनाव होने हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटरों को साधने के लिए एक बड़ा दांव चली है। भाजपा ने अब तक 90 में से 85 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें से 29 ओबीसी नेता हैं। आइए समझते हैं इसके मायने
32 तक पहुंच सकती है ओबीसी कैंडिडेट की संख्या
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 85 कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर दिया है। पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है। पार्टी ने अभी तक 29 ओबीसी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है और यह संभावना जताई जा रही है कि बाकी बचे 5 सीटों में से तीन पर भाजपा ओबीसी नेताओं को ही उतारेगी। इस तरह ओबीसी नेताओं की संख्या 32 तक पहुंच सकती है। बता दें कि 2018 के चुनाव में भाजपा ने 28 ओबीसी उम्मीदवार उतारे थे। वहीं कांग्रेस ने 26 ओबीसी नेताओं को टिकट दिया था। छत्तीसगढ़ में 40-45 फीसदी ओबीसी हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पांच सीटों- अंबिकापुर, बेलतारा, कसडोल, बेमेतरा और पंडरिया पर अभी कैंडिडेट के नाम का ऐलान नहीं किया है। भाजपा ने पहली लिस्ट 17 अगस्त को जारी की थी। वहीं दूसरी लिस्ट सोमवार को जारी की गई। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अब तक 16 ‘उच्च जाति’ के उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें सात ठाकुर, पांच ब्राह्मण, तीन अग्रवाल और एक जैन शामिल हैं। भाजपा ने अब तक जिन 85 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 29 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 10 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं।
दो पूर्व आईएएस अधिकारियों को भी मिला टिकट
भाजपा ने दो पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी- ओपी चौधरी और नीलकंठ टेकाम को भी टिकट दिया गया है। साथ ही तीन डॉक्टर- कृष्णमूर्ति बांधी, खिलवान साहू और दिनेश लाल जांगड़े को चुनावी मैदान में उतारा है। ओबीसी में सबसे अधिक टिकट साहू (10 उम्मीदवार) को दिए गए, उसके बाद कुर्मी (8), रजवार (2), यादव (2), कलार (2) और अन्य को दिए गए। पिछले 2018 चुनाव में बीजेपी ने 14 साहू उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
किसी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं
भाजपा के एक नेता ने बताया, ‘हम ओबीसी वोटरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि पिछले चुनाव में ओबीसी मतदाताओं के एक बड़े हिस्से ने कांग्रेस को वोट दिया था। इस बार उनका झुकाव हमारी ओर है।’ गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में एसटी के लिए 29 आरक्षित सीटें हैं, लेकिन भाजपा ने 30 एसटी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। गोंड जनजाति के उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा 17 टिकट दिए गए हैं, उसके बाद कंवर (4), राठिया कंवर (2), भतरा (2), हल्बा (2), क्रिश्चियन ओरांव (2) और हिंदू ओरांव (1) हैं। अब तक भाजपा ने किसी भी सिख, सिंधी, पंजाबी, गुजराती और मुस्लिम नेता को टिकट नहीं दिया है।
मायने क्या?
छत्तीसगढ़ में भाजपा ओबीसी वोटरों को साध कर सत्ता में आने का प्लान बना रही है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि साल 2018 के चुनाव में ओबीसी वोटरों ने कांग्रेस को वोट दिया था। ऐसे में अब भाजपा उन्हें अपनी ओर शिफ्ट करना चाहती है। इसी वजह से भाजपा पिछली बार से ज्यादा ओबीसी कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतार रही है। साल 2018 के चुनाव में भाजपा ने 28 ओबीसी उम्मीदवार उतारे थे। अब तक भाजपा 29 ओबीसी नेताओं को टिकट दे चुकी है और यह माना जा रहा है कि बाकी बचे 5 सीटों पर नाम ऐलान करने के बाद ओबीसी नेताओं की संख्या 32 तक पहुंच सकती है।