2024 के लोकसभा चुनाव मेम उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने की कोशिश कर रही बीजेपी ने अभी से बड़ी तैयारी शुरू कर दी है. असल में बीजेपी यादव मतदाताओ में सेंधमारी करके भगवा फहराने की फिराक मे दिख रही है. यादव मतदाताओं में गोत्र की बात करें तो धोसी, कमरिया, ग्वाल और डढोर हैं, जिनमें बीजेपी ने सेंधमारी का खाका तैयार किया है. यादवलैंड में चौधरी कुनबे के भरोसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवा झंडा फहराने की जुगत में अभी से जुट गए हैं.
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी की मजूबत नींव डालने में जुट गये हैं. अपने अभियान के क्रम मे प्रधानमंत्री यादवलैंड में समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए उन हर ताकतवर स्तम्भों को अपने साथ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं जो संसदीय चुनाव के वक्त भगवा को मजबूत करने का काम करे. इसी कड़ी में कानपुर के चौधरी हरमोहन सिंह परिवार का चयन किया गया, जिसके जरिये बीजेपी की विजय पताका यादवलैंड में फहराया जा सके.
मुलायम की पुत्रवधू अपर्णा और भाई शिवपाल के बाद चौधरी परिवार की दूरी सपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं मानी जायेगी. करीब चार दशक पुराना याराना चौधरी हरमोहन का मुलायम परिवार से चला आ रहा था. जिसके अब टूटने का स्पष्ट संकेत मिल चुका है. ऐसा माना जाने लगा है कि चौधरी हरमोहन कुनबा के लोग अब भगवा खेमे के साथी हो गए हैं. चौधरी हरमोहन की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के वर्चुअल संबोधन को लेकर कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की यादव राजनीति और सपा का एक बड़ा स्तंभ अब भगवा खेमे का साथी बन जायेगा. इस साल शुरू में हुए विधानसभा चुनाव से पहले बेटे मोहित को बीजेपी में शामिल करवा चौ. सुखराम ने इसके संकेत दे ही दिए थे.
38 विधानसभा सीटें यादव बाहुल
बता दें कि उत्तर प्रदेश की 38 विधानसभा सीटें यादव बाहुल मानी जाती हैं. इसमें एटा, इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, फर्रूखाबाद और कानपुर देहात जिलों की अधिकतर सीटें शामिल हैं. राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि बीजेपी की नजर इन सीटों पर है. सपा का प्रभाव इन सीटों पर कम करने के लिए चौधरी परिवार के जरिए संदेश दिया जा सकता है. बीजेपी कोशिश करेगी कि सुखराम सिंह को आगे कर हरमोहन सिंह के नाम पर इन सीटों पर वर्चस्व जमा सके. सुखराम सिंह भले हरमोहन सिंह का नाम आगे कर बीजेपी के करीब आ गए हों, आधा कुनबा अभी भी सपा के साथ है. दो बार विधायक रहे जगराम सिंह और ब्लॉक प्रमुख रहे अभिराम सिंह की आस्था अभी भी सपा के ही साथ है. इसके अलावा मेहरबान सिंह पुरवा के कई करीबी भी सपा खेमे में ही नजर आ रहे हैं. 2024 के लोक सभा चुनाव आते-आते तस्वीर काफी साफ होगी कि चौधरी परिवार बीजेपी की ज्यादा मदद कर पाएगा या बचा हुआ आधा कुनबा सपा के लिए मुफीद होगा.
10 लोकसभा सीटों पर यादव वोटों की निर्णायक भूमिका
उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर यादव वोटों की निर्णायक भूमिका मानी जाती है. जिन चौधरी हरमोहन सिंह की बात की जा रही है उन्होंने ग्राम सभा से लेकर राज्यसभा तक का सफर तय किया. चौधरी हरमोहन सिंह उन लोगों में थे, जिन्होंने मुलायम सिंह यादव को न केवल सियासी ताकत दी, बल्कि समाजवादी पार्टी की स्थापना कर पार्टी को मजबूती प्रदान की थी. किसी दौर में चौधरी हरमोहन सिंह की कोठी में सपा की चुनावी रणनीति से लेकर मंत्रिमंडल के गठन तक का मंथन किया जाता था. लेकिन अब इस कोठी से सपा के बजाय बीजेपी का भगवा झंडा फहराने की पूरी तैयारी कर ली गई है. मुलायम के करीबी और अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुखराम यादव की सपा से दूरियां साफ दिख रही है तो बीजेपी के साथ लगातार नजदीकियां बढ़ रही है.
यादव बेल्ट में भी ‘कमल’ खिलाने की रणनीति
बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का टारगेट रखा है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर सपा को कोर यादव वोट बैंक पर है. बीजेपी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जरिए सपा के मजबूत गढ़ आजमगढ़ में फतह करने के बाद 2024 में यादव बेल्ट में भी ‘कमल’ खिलाने की रणनीति बनाई है. ऐसे में मुलायम के करीबी रहे चौधरी हरिमोहन यादव के पुण्यतिथि के जरिए बीजेपी मिशन 2024 को पूरा करने के लिए सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए चक्रव्यूह रच रही है. उत्तर प्रदेश में कानपुर से लेकर इटावा, कन्नौज, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद आगरा तक एक समय चौधरी हरमोहन सिंह का यादव वोट बैंक पर दबदबा रहा लेकिन पिछले कुछ वक्त से सपा का किला दरकता नजर आ रहा है.