रायपुर : छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के भाजपा और कांग्रेस की ओर से कई बड़े वादे किए गए थे। इनमें मुफ्त वाली योजनाएं भी शामिल हैं। कांग्रेस को उम्मीद थी कि किसान, गरीब और आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के कारण उनकी सत्ता बरकरार रहेगी लेकिन भाजपा ने ‘मोदी की गारंटी मतलब वादे पूरे होने की गारंटी’ का नारा बुलंद कर पूरा खेल ही पलट दिया। ऐसे में जब भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने की ओर अग्रसर है, उसके सामने किसानों, महिलाओं और गरीबों से किए गए वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती रहेगी। वादों और चुनौतियों पर एक नजर…
‘मोदी की गारंटी मतलब वादे पूरे होने की गारंटी’ का नारा
छत्तीसगढ़ में चुनाव से लगभग छह महीने पहले ही दोनों दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थी। राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस को उम्मीद थी कि किसान, गरीब और आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के कारण उनकी सत्ता बरकरार रहेगी लेकिन भाजपा ने ‘मोदी की गारंटी मतलब वादे पूरे होने की गारंटी’ का नारा बुलंद कर पूरा खेल ही पलट दिया।
पिछली हार से लिया सबक
चुनावी विश्लेषकों की मानें तो साल 2018 में भाजपा की करारी हार का एक कारण उसका कमजोर घोषणा-पत्र भी था। इस बार के चुनाव में पार्टी ने इसे ध्यान में रखा और जनता से खूब वादे किए। भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र को ‘छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी’ नाम दिया। BJP ने जनता से वादा किया कि सरकार बनने पर किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से धान खरीदी जाएगी और किसानों को एक क्विंटल धान के लिए 31 सौ रुपये दिये जाएंगे।
महतारी वंदन योजना के साथ कई वादे
यही नहीं भाजपा ने महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को 12 हजार रुपये वार्षिक वित्तीय मदद देने का वादा किया था। एक लाख शासकीय पदों पर भर्ती करने का भी वादा किया था। भाजपा ने 18 लाख प्रधानमंत्री आवास बनाने, प्रति बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण पर 5500 रुपये और अतिरिक्त संग्रहण पर 4500 रुपये तक बोनस दिए जाने का वादा किया था।
भाजपा के बड़े वादे
भाजपा के घोषणा-पत्र में भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को 10 हजार रुपये सालाना देने और 10 लाख रुपये तक स्वास्थ्य बीमा का भी वादा किया गया है। भाजपा युवाओं को 50 फीसदी सब्सिडी के साथ ब्याज मुक्त कर्ज देने, गरीब घर में बालिकाओं के जन्म पर एक लाख 50 हजार रुपये का आश्वासन प्रमाण-पत्र देने, गरीब परिवारों की महिलाओं को पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर देने का भी वादा किया था।
भारी भरकम खर्च का अनुमान
भाजपा ने कॉलेज जाने के लिए छात्रों को मासिक यात्रा भत्ता देने और प्रदेशवासियों को अयोध्या में रामलला का दर्शन की व्यवस्था करने सहित कई अन्य लोकलुभावन वादे किए। इन वादों को पूरा करने में भारी भरकम रकम खर्च होने का अनुमान है।
वादों को पूरा करने की चुनौती
ऐसे में जब भाजपा सरकार बनाने की राह पर है, उस पर लोकसभा चुनाव से पहले जनता का भरोसा जीतने के लिए वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती भी होगी। इस मामले में सीएम पद संभालने वाले नेता के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी होगी क्योंकि उसको भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबे राज्य की जिम्मेदारी मिलेगी।साथ ही उसे जनता से किए वादों को पूरा करने का भी जिम्मा होगा।
कर्ज के बोझ में डूबा राज्य
मौजूदा वक्त में छत्तीसगढ़ 82 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। प्रदेश में जिस तरह बड़े-बड़े वादे किए गए हैं उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों तक कर्ज में बढ़ोतरी ही होगी। आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि साल 2018 में जब रमन सिंह ने कुर्सी छोड़ी थी उस समय छत्तीसगढ़ पर 41 हजार 695 रुपए का कर्ज था। बघेल की सरकार में यह बढ़ता ही गया। साल 2023 तक यह कर्ज दोगुना हो गया है।
64 हजार 870 करोड़ रुपये करने होंगे खर्च
सूबे की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का आलम यह था कि भूपेश बघेल सरकार को कर्ज पर सालाना 6000 करोड़ का ब्याज देना पड़ रहा था। घोषणाओं और वादों को पूरा करने में खर्चों की बात करें तो धान खरीदी पर 45000 करोड़ की राशि खर्च होगी। भूमिहीन खेतिहर मजदूर पर 570 करोड़ रुपये जबकि रसोई गैस सब्सिडी पर 1000 करोड़ रुपये की रकम खर्च होगी। महिलाओं को सहायता देने के मामले में 12 हजार करोड़ खर्च होंगे। कुल मिलाकर भाजपा को वादों को पूरा करने में अनुमानित 64 हजार 870 करोड़ रुपए की रकम खर्च करने होंगे।