अंजन साबत
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रतिनिधि सभा की ग्वालियर में संपन्न हुई की बैठक में आने वाले चुनाव को लेकर संजय जोशी को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई। संघ की इस तीन दिवसीय बैठक में बीजेपी को जिताने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव संजय भाई जोशी से जिताऊं उम्मीदवारों की सूची मांगने के साथ ही उनसे कमजोर पड़ रही कडिय़ों को मजबूत करने की बात कही।
ग्वालियर में 08 मार्च से 10 मार्च के बीच हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वार्षिक बैठक में संघ के समस्त बड़े पदाधिकारी समेत भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं ने शिरकत की। बैठक में इस बात पर मंथन किया गया कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए जीत का रास्ता कैसे सुनिश्चित किया जाए। बैठक में संघ का कहना था कि 2014 के मुकाबले 2019 में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है। कुछ मुद्दों को लेकर विपक्ष पहले से ही काफी हमलावर रहा है। ऐसे में पार्टी को अपनी चुनावी रणनीतियों में कुछ परिवर्तन करना होगा। संघ की इस बैठक में जहां प्रमुख रूप से कई मुद्दे छाए रहें वहीं एक ऐसा मुद्दा था जिस पर काफी गुपचुप तरीके से मंथन किया गया।
नौ मार्च की शाम को केदारधाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के विशेष कक्ष में एक अहम बैठक हुई। जिसमें संघ के बड़े पदाधिकारी समेत बीजेपी के कुछ बड़े नेता शामिल थे। दो घंटे तक चली यह बैठक काफी गुप्त रही है। इस दौरान कक्ष के पास से गुजरने वाले गलियारे में अन्य कार्यकर्ताओं की आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। हालांकि आठ मार्च की रात में भी इसी कमरे में एक बैठक हुई थी जिसमें केवल संघ के ही बड़े पदाधिकारी मौजूद थे। नौ मार्च को हुई बैठक में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई। इन्हीं बिंदुओं में एक विषय था 2019 के चुनाव में संजय जोशी की चुनावी रणनीति का कैसे लाभ लिया जाए।
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संघ की बैठक में कहा गया कि जब संजय जोशी पार्टी के लिए बंजर हो चुकी गुजरात की गरम जमीन में कमल का फूल खिला सकते हैं तो लोकसभा चुनाव में उनके जीत के मंत्रों को अपनाया जा सकता है। बैठक में चर्चा की गई कि 2003 के मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में संजय जोशी की अहम भूमिका रही थी। इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में संजय जोशी के करीबी चार दर्जन से अधिक प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। जबकि हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और हाल ही में संपन्न हुए मध्यप्रदेश व राजस्थान के विधानसभा चुनाव में संजय जोशी के समर्थक प्रत्याशियों ने बड़ी संख्या में जीत दर्ज की। संघ ने पदाधिकारी ने बताया कि संजय जोशी की जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। जिसका चुनाव में बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है।
बैठक में इस बात पर मंथन किया गया कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव संजय जोशी को आखिर कौन सी जिम्मेदारी सौंपी जाए। क्योंकि अगर उन्हें राज्यवार या जोनवार जिन्मेदारी दी जाती है तो वे सात चरण में होने वाले इस आम चुनाव में कुछ ही क्षेत्रों में सिमट कर रह जाएंगे। ऐसे में निर्णय लिया गया कि उन्हें कमजोर पड़ रहे प्रत्याशियों पर नजर रखने व प्रत्याशियों के चयन की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। ये सारा मिशन गुपचुप तरीके से चलाया जाएगा। इसके पीछे तर्क ये दिया गया कि विपक्ष को पता है कि संजय जोशी को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है ऐेसे में विपक्ष संजय जोशी को लेकर पूरी तरह से बेफिक्र है। चुनाव के दौरान वो संजय जोशी पर हमलावर भी नहीं होगा जिसका फायदा चुनाव में पार्टी को मिलेगा।
संघ के एक बड़े पदाधिकारी ने बताया कि ‘कुछ ऐसी योजनाएं होती है जो अगर समय से पहले सामने आ जाएं तो उनकी सफलता पर संशय की स्थिति बन जाती है। ऐसे में योजनाओं की सफलता के लिए जरूरी है कि समय से पहले उनका खुलासा न हो।’ संजय जोशी की चुनाव में भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘संजय जोशी संघ और पार्टी के एक महत्वपूर्ण अंग हैं, इस अंग को पता है कि उसे किस समय पर क्या काम करना है। और इस अंग के महत्वपूर्ण होने की बात न तो संघ को किसी को बताने की जरूरत है और न ही पार्टी को।’
भारतीय जनता पार्टी के केंद्र में मंत्री व वरिष्ठ कद्दावर नेता ने सख्त लहजे में कहा कि ‘आप लोग पिछले छह वर्षों से एक ही सवाल पर अटके है जबकि दुनिया कहां से कहां पहुंच गई। रही बात संजय जोशी की तो पार्टी के लिए वो कितनी अहम भूमिका निभाते है वो क्षेत्र में जाकर देख लीजिए। आपके पास तो सूचनाओं का अथाह स्त्रोत हैं वो आपको बता देंगे कि संजय जोशी की पार्टी में क्या अहमियत हैं और किसी भी बड़े निर्णय में उनकी राय कितनी महत्वपूर्ण होती है।’