नई दिल्ली: भाजपा नेतृत्व ने झारखंड और महाराष्ट्र में पिछली बार हारी सीटों को लेकर खास रणनीति बनाई है। इन सीटों पर विरोधी दलों के विधायकों के खिलाफ माहौल है, जिसे वह भुनाने की कोशिश करेगी। हालांकि महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा में टूट के बाद कई सीटों की स्थिति बदली है। वहां पर वह अपने हिस्से में आने वाली पिछली बार की हारी लगभग 65 सीटों पर नए समीकरण बना रही है।
भाजपा झारखंड में विरोधी सत्तारूढ़ गठबंधन की लगभग 50 सीटों में से आधी जीतने को कोशिश कर रही है। इसके लिए भाजपा की अपनी टीम के साथ संघ के कुछ संगठन भी अपने स्तर पर मदद कर रहे हैं। झारखंड में भाजपा ने विधानसभा की 81 सीटों में से 25 जीती थी, जबकि जेवीएम को तीन व आजसू को दो सीटें मिली थीं। राज्य में भाजपा ने लगभग 50 हारी हुई सीटों के सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए आदिवासी व गैर आदिवासी दोनों वर्गों में अपने दूसरे राज्यों के नेताओं को भी सक्रिय किया हुआ है। इनमें बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़ के नेता शामिल हैं।
दूसरे राज्यों के नेता अपने सामाजिक समूहों के बीच जाने के साथ दूर दराज तक की रिश्तेदारियों के जरिये गांव-गांव संपर्क कर रहे हैं। संघ से जुड़ा वनवासी कल्याण आश्रम भी परोक्ष रूप से भाजपा की सहायता कर रहा है।
लोकसभा चुनाव के समय से तैयारी
महाराष्ट्र में पिछली बार भाजपा व शिवसेना के गठबंधन ने 288 में से 161 सीटें जीती थीं। इनमें भाजपा की 105 सीटें शामिल थीं। बाद में गठबंधन टूट गया और अब गठबंधन सरकार में भाजपा के साथ शिवसेना का एक बड़ा धड़ा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में और राकांपा का बड़ा धड़ा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में उसके साथ है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा महाराष्ट्र में लगभग 170 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उसके पास लगभग 65 सीटें ऐसी होंगी जो हारी हुई हैं। उन पर जीत के लिए पार्टी ने अपनी तैयारी लोकसभा चुनाव के समय से ही कर रखी है। चूंकि भाजपा खुद सत्ता में है, ऐसे में वह काफी संभल कर चल रही है। विरोधी विधायकों को लेकर तो वह आक्रामक है, लेकिन सरकार का बचाव कर रही है।