नई दिल्ली: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस उम्मीदवार मनोज रावत को 5,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया. आशा को 23,800 वोट मिले, जबकि मनोज रावत को 18,000 वोट. इस चुनाव में कुल 6 प्रत्याशी थे, लेकिन चर्चा का केंद्र रहे निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन चौहान, जिन्होंने 9,300 वोट पाकर कांग्रेस के वोट बैंक को बड़ा झटका दिया. केदारनाथ उपचुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई थी, क्योंकि यह अयोध्या और बद्रीनाथ के बाद महत्वपूर्ण धार्मिक-राजनीतिक क्षेत्र है. कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहती थी, लेकिन कड़ी मेहनत के बावजूद जीत बीजेपी के हिस्से आई.
कौन हैं त्रिभुवन चौहान?
त्रिभुवन चौहान एक यूट्यूबर और पत्रकार हैं, जो केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं. वह अपने वीडियोज़ के जरिए क्षेत्रीय मुद्दों को उठाते रहे हैं. केदारनाथ यात्रा के दौरान उनके वीडियो काफी लोकप्रिय हुए. उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनकी रणनीति बीजेपी से नाराज वोटर्स को अपने पक्ष में करना थी. इसके चलते कांग्रेस के वोटरों का बड़ा हिस्सा उनकी ओर चला गया.
त्रिभुवन और मनोज की समानताएं
दिलचस्प बात यह है कि त्रिभुवन और कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत दोनों का बैकग्राउंड पत्रकारिता में रहा है. मनोज प्रिंट मीडिया के सक्रिय पत्रकार रहे हैं और कई खोजी रिपोर्ट्स कर चुके हैं. वहीं, त्रिभुवन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बना चुके हैं. दोनों को पत्रकारिता में अपनी पृष्ठभूमि का फायदा राजनीति में मिला.
त्रिभुवन का भविष्य और योजनाएं
चुनाव के बाद त्रिभुवन चौहान ने साफ किया कि वह 2027 में फिर से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र की समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाते रहेंगे. इस चुनाव में त्रिभुवन का प्रदर्शन दिखाता है कि निर्दलीय उम्मीदवार भी जनता के बीच बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं. उनकी चुनावी भागीदारी ने यह साबित किया कि क्षेत्रीय मुद्दों को सही तरीके से उठाने पर जनता का विश्वास जीता जा सकता है.