अहमदाबाद: 2024 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अबकी चार 400 पार संकल्प लिया है। 6 अप्रैल, 1980 को अस्तित्व में आई भारतीय जनाता पार्टी आज अपना 44वां स्थापना दिवस मना रही है। पार्टी पिछले 10 सालों से केंद्र के साथ तमाम राज्यों की सत्ता पर काबिज है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बीजेपी ने अपनी उपस्थिति को बेहद मजबूत किया है लेकिन इस सब के बीच गुजरात बीजेपी का गढ़ बना हुआ है। राज्य में बीजेपी ने 14 मार्च, 1995 को गुजरात में अपने बूते पर सरकार बनाई थी। बीच में शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह को छोड़ दें तो बीजेपी गुजरात की सत्ता पर 4 मार्च 1998 से लगातार काबिज है। गुजरात में बीजेपी के गढ़ बनने की कहानी काफी अभूतपूर्व हैं। पार्टी पिछले चार दशक में लगातार मजबूत हुई है। 44 साल की यात्रा में 22 साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेवा से जुड़े हुए हैं। स्थिति यह है कि बीजेपी के इस गढ़ में 138 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी अब खाता खाेलने को तरस रही हैं।
1 सीट से हुई थी शुरुआत
1984 के पहले चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली थी। राज्य की 26 सीटों में 24 कांग्रेस और 1 सीट जनता पार्टी और एक सीट भारतीय जनता पार्टी को मिली थी। महेसाणा की सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी। ए के पटेल को बीजेपी के पहले सांसद होने का का गौरव है। पांच साल 1989 के चुनावों में तस्वीर काफी बदल गई थी। बीजेपी की सीटों की संख्या 12 हो गई थी। जनता दल को 11 और कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटें मिली थीं। 1991 के चुनावाें में बीजेपी 20 सीटों पर पहुंच गई थी। कांग्रेस को पांच और जनता (जी) को एक सीट हासिल हुई थी। 1996 में बीजेपी को 16 और कांग्रेस 10 सीटें मिली थीं। अब आलम यह है कि पार्टी पिछले दो लोकसभा चुनावों से क्लीन स्वीप कर रही है।
पहले चुनाव में मिली थीं 9 विधानसभा सीटें
1985 बीजेपी ने गुजरात में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी को पहले 1,090,652 वोट मिले थे। 14.02 फीसदी वोटों के साथ बीजेपी ने नौ सीट हासिल की थीं। 1985 बीजेपी को दूसरे चुनाव में कुल 1,379,120 वोट मिले थे। जो 14.96 फीसदी थे। पार्टी को 11 सीटें हासिल हुई थीं। पार्टी 2022 के गुजरात विधानसभा में तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए और 182 सीटों में 156 सीटें झटक लीं। राज्य में लोकभा चुनावों के साथ पांच विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। अगर इन ये पांच सीटें भी बीजेपी जीतती हैं तो पार्टी का सदन में संख्याबल 161 सीटों का हो जाए।
44 साल में ये रहे टर्निंग प्वाइंट
गुजरात में बीजेपी के मजबूत होने में चार प्वाइंट अहम रहे हैं। इसमें राम मंदिर आंदोलन से जहां पार्टी को लाभ मिला तो वहीं 2001 में नरेंद्र मोदी एंट्री पार्टी को गुजरात में लाभ मिला। यही वजह है कि पार्टी ने 2014 में कांग्रेस को एक भी लाेकसभा सीट नहीं जीतने दी।
1. हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन
1980 में पार्टी की स्थापना के बाद जब उसे पहले चुनाव में 1 लोकसभा और 9 विधानसभा सीटें मिलीं तो पार्टी ने हिंदुत्व के एजेंड़े पर काम करना शुरू किया। 1987 आते-आते पार्टी ने राम मंदिर की मांग शुरू की। इसके बाद पार्टी ने 1990 के विधानसभा चुनावा में 70 विधानसभा सीटें जीतीं तो पार्टी ने फिर राम मंदिर निर्माण के आंदोलन को तेज किया। सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा से राज्य में हिंदुत्व का उभार हुआ है। पार्टी 1995 पार्टी अपने बूते पर सत्ता पर काबिज हुई। बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री होने का गौरव केशुभाई पटेल को हासिल हुआ।
2. गुजरात दंगे और गुजरात गौरव यात्रा
बीजेपी की पहली सरकार में बगावत हुई लेकिन इसके बाद 1998 में बीजेपी की फिर सरकार बनी तो प्राकृतिक आपदाताओं के चलते सरकार निशाने पर आई। कच्छ के भूकंप ने सत्तारूढ़ बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाई थीं। ऐसे वक्त पर राज्य में नरेंद्र मोदी का प्रवेश हुआ, इसी बीच राज्य में गुजरात दंगे हुए। यह वक्त पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। तब मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने बुरे वक्त में गुजरात गौरव यात्रा निकाल एक नए उदय का भरोसा जगाया।
3. वाइब्रेंट गुजरात टू ग्लोबल गुजरात
केंद्र में 2004 से 2014 के कालखंड में नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए वाइब्रेंट गुजरात को लेकर गुजरात की तरफ सबका ध्यान खींचा और विकास की राजनीति पर फोकस किया। इसके चलते गुजरात की ग्रोथ की चर्चा हुई और राज्य में विकास की संभावनाएं बनी। नर्मदा का पानी गुजरात सुदूर गांवों तक पहुंचा। गुजरात के शहरों को 24 घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हुई। साबरमती रिवरफ्रंट के मॉडल की चर्चा हुई। इसके चलते गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम पद के दावेदार बने।
4. मोदी का राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश
गुजरात में बीजेपी के लिए मोदी का राष्ट्रीय राजनीति में जाना बड़ी ताकत लेकर आया। 2014 के चुनावों में जब पूरे देश में अबकी बार मोदी सरकार का नारा था तब गुजरात में यह नारा नहीं था। तब गुजरात में नारा था कि आपणो नरेंद्र, आपणो पीएम (अपना नरेंद्र अपना पीएम), क्योंकि गुजरात में पिछले 13 वर्षों से मोदी सरकार ही थी। इसका कमाल यह हुआ कि पहली बार गुजरात में किसी एक बार पार्टी ने सारी सीटें जीती लीं। कांग्रेस शून्य पर सिमट गई। 2019 के चुनावों में यही हुआ। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। अब जब तीसरी बार मोदी सरकार की बात हो रही है तब गुजरात में ‘मारू भारत और मारू परिवार’ (मेरा भारत-मेरा परिवार) स्लोगन के साथ गुजरात की सड़कों पर पीएम मोदी की होर्डिंग्स लगी हुई हैं।