नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में बीजेपी सरकार बनाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है. 2024 लोकसभा चुनाव में कश्मीर रीजन की किसी सीट पर उम्मीदवार न उतारने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में बड़ा सियासी दांव चला है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी कर दी है. पार्टी ने पहले चरण की 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था, जिसमें आधी से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम समुदाय को टिकट दिया है. बीजेपी ने मुस्लिमों पर भरोसा जताकर ‘घाटी’ में कमल खिलाने का प्लान बनाया है. देखना है कि बीजेपी की रणनीति चुनाव में कितनी कारगर साबित होती है.
बीजेपी ने सोमवार सुबह 10 बजे पहले जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए 44 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, लेकिन बाद में इस लिस्ट को वापस ले लिया था. इसके बाद अब पार्टी ने नए सिरे से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. बीजेपी ने पहले चरण की कुल 24 विधानसभा सीटों में से 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है और 8 सीट पर अभी टिकट का ऐलान नहीं किया. बीजेपी ने सीट के सियासी समीकरण को देखते हुए उम्मीदवारों पर दांव खेला है. यही वजह है कि पहली लिस्ट में हिंदू से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
बीजेपी ने 8 मुस्लिम को दिया टिकट
बीजेपी ने पहले चरण की 15 सीटों में से 8 सीटों पर मुस्लिमों को टिकट दिया है. इस तरह 50 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिमों पर भरोसा जताया है. इसमें पांपोर से इंजीनियर सैयद शौकत गयूर, राजपोरा से अर्शीद भट्ट, शोपियां से जावेद अहमद कादरी, अनंतनाग पश्चिम से मो. रफीक वानी, अनंतनाग से एडवोकेट सैयद वजाहत, श्रीगुफवाड़ा बिजबेहरा से सोफी यूसुफ, इंदरवल से तारिक कीन और बनिहाल से सलीम भट्ट को प्रत्याशी बनाया है.
वहीं, बीजेपी ने सात हिंदू समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें एक कश्मीरी पंडित शामिल है. किश्तवाड़ से शगुन परिहार, डोडा से गजय सिंह राणा, शानगुस अनंतनाग से वीर सराफ, पाडेर नागसेनी सीट से सुनील शर्मा, भदरवाह से दिलीप सिंह परिहार, रामबन से राकेश ठाकुर और डोडा पश्चिम से शक्ति राज परिहार को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने शानगुस अनंतनाग से वीर सराफ को टिकट दिया है, जो कश्मीरी पंडित हैं. साथ ही कश्मीरी पंडितों में सुनील शर्मा पर भी भरोसा जताया है. इसके अलावा पांच सीट पर ठाकुर समुदाय से आने वाले नेताओं को टिकट दिया है, जिसमें तीन परिहार है.
मुस्लिम पर दांव खेलने का समीकरण
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने ऐसे ही मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव नहीं खेला है बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत उतारा है. बीजेपी का सियासी आधार जम्मू रीजन के क्षेत्र में है. इसीलिए पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जम्मू रीजन की दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. कश्मीर रीजन में मुस्लिम वोटों के सियासी प्रभाव को देखते हुए बीजेपी ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. कश्मीर पंचायत चुनाव में भी बीजेपी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिमों पर दांव खेला था, जिसमें कुछ हद तक कामयाब रही. इसीलिए विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम पर भरोसा जताया है.
घाटी में क्या खिलेगा बीजेपी का कमल
बीजेपी को परंपरागत रूप से जम्मू रीजन की तुलना में कश्मीर रीजन में बहुत ज्यादा समर्थन हासिल नहीं है, लेकिन राजनीति के जानकार लोगों का कहना है कि हाल के सालों में बीजेपी का कैडर यहां बढ़ा है. बीजेपी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर में साल 2014 के विधानसभा चुनावों में किया था. तब वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उस समय बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. बीजेपी ने कुल 87 में से जम्मू की 25 सीटों पर जीत हासिल की थी.
बीजेपी का राज्य में सियासी आधार जम्मू वाले क्षेत्र में ही रहा है, लेकिन कश्मीर के रीजन में हिंदू वोटों का प्रभाव बहुत नहीं है. मुस्लिम वोटर ही यहां पर निर्णायक भूमिका में है. धारा 370 के हटने के बाद हुए परिसीमन में जम्मू को छह अतिरिक्त सीटें हासिल हुईं, जबकि कश्मीर की सिर्फ एक ही सीट बढ़ी है. इस तरह जम्मू क्षेत्र की सीटें अब 37 से बढ़कर 43 हो गई है तो कश्मीर क्षेत्र की 46 सीटों से बढ़कर 47 रह गई हैं. इस तरह से अब बहुत ज्यादा अंतर नहीं है.
चुनाव में बीजेपी ने इन मुद्दों को बनाया आधार
बीजेपी को उम्मीद है कि जम्मू क्षेत्र की 43 में से 35 से 37 सीटें वह जीत सकती है, लेकिन कश्मीर रीजन वाली 47 सीटों में से 10 से 12 सीटें जीतने का प्लान बनाया है. कश्मीर की अवाम खासकर मुस्लिमों का दिल जीतने के लिए नेशनल कॉफ्रेंस ने और अपनी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में 370 के लिए संघर्ष करने और राज्य का दर्जा बहाली को शामिल किया है. पीडीपी पहले से ही 370 के खिलाफ रही है. इसके चलते ही बीजेपी ने कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाके में मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है.
बीजेपी अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के माहौल में आए बदलाव, विकास की गाथा तथा परिवार वादी राजनीति के खात्मे को आधार बना रही है. बीजेपी पिछले पांच साल में आए बदलाव की तस्वीर जनता के सामने रखकर उनसे विकास या विनाश का विकल्प चुनने के लिए कह रही है. इसके अलावा जिस तरह से कश्मीर रीजन वाले इलाके की सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे गए हैं, उसको बीजेपी की सत्ता में वापसी का मूल मंत्र माना जा रहा है.