नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजनीति में लंबे समय बाद कोई बड़ा फिल्म स्टार चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है. अभिनेता विजय ने 2026 के विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की घोषणा कर दी है. हालांकि वह इस लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे. विजय का यह कदम तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य को बदल देगा, लेकिन यह कितना बड़ा बदलाव होगा, यह अभी कहना मुश्किल है. अभी के लिए, उनका लक्ष्य अपने प्रशंसकों, खासकर युवाओं को राजनीतिक रूप से प्रेरित करना और उन्हें 2026 के चुनावों के लिए तैयार करना है.
विजय के ऐलान का विश्लेषण करने से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि 1960 के दशक में कांग्रेस से सत्ता हासिल करने वाली द्रमुक यानि कि डीएमके को कई विरोधियों का सामना करना पड़ा है. राज्य की राजनीति में जगह बनाने वाले लगभग सभी राजनेता किसी न किसी समय द्रमुक के विरोध में खड़े हुए थे. लेकिन विजय का ऐलान सिर्फ वहां की पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के लिए भी अलर्ट है.
किसके लिए चुनौती होंगे विजय
विजय का राजनीतिक डेब्यू द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों के लिए चुनौती पेश कर सकता है. उनका युवा और करिश्माई व्यक्तित्व कई मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है, खासकर उन लोगों को जो पारंपरिक राजनीतिक दलों से ऊब चुके हैं. यह देखना बाकी है कि विजय कितने सफल राजनेता बनेंगे, लेकिन उनके आगमन से तमिलनाडु की राजनीति में निश्चित रूप से हलचल मच गई है.
सितारों से सजी रही दक्षिण की राजनीति
यह बात सही है एमजी रामचंद्रन, जे जयललिता और विजयकांत जैसे कई सितारे हैं जिन्होंने दक्षिण की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी है. अब, अभिनेता विजय भी इस लिस्ट में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. विजय 2026 के विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की घोषणा कर चुके हैं. उनका प्रवेश, कमल हसन के राजनीति में आने के छह साल बाद हुआ है. कमल हसन ने रणनीतिक राजनीति अपनाई और पूरी तरह से राजनीतिक नहीं हुए. रजनीकांत का भी कुछ ऐसा ही रहा. लेकिन विजय ने कहा है कि वह पहले से प्रतिबद्ध एक फिल्म को पूरा करने के बाद पूर्णकालिक राजनीति में प्रवेश करने जा रहे हैं.
विजय के राजनीतिक डेब्यू ने तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ बीजेपी कांग्रेस को चौकन्ना कर दिया है. वे उन्हें किसी भी अन्य की तुलना में विजय को कहीं अधिक गंभीरता से ले रही हैं. सबने मिलीजुली प्रतिक्रिया जरूर दी है लेकिन किन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है, यह जरूर समझ लेना जरूरी है. इसके कई कारण भी हैं.
विजय के आगमन पर द्रमुक का रुख: वेट एंड वॉच का खेल
द्रमुक के भीतर अपनी ताकत तेजी से बढ़ाने वाले उद्धयनिधि स्टालिन ने विजय को राजनीति में आने पर बधाई दी है और उनकी शुभकामनाएं दी हैं. दिलचस्प बात यह है कि जब अभिनेता रजनीकांत ने राजनीति में आने के संकेत दिए थे, तब एमके स्टालिन ने भी कुछ ऐसा ही रुख अपनाया था. यह द्रमुक की एक सोची-समझी रणनीति का संकेत देता है.
योजना: विरोधी को पहला कदम उठाने दें
द्रमुक का इतिहास रहा है कि वे राजनीतिक टकरावों में पहला कदम उठाने से बचते हैं. वे विरोधी के कदमों का अवलोकन करते हैं और फिर रणनीतिक रूप से प्रतिक्रिया देते हैं.
रजनीकांत का उदाहरण: रजनीकांत ने जब अपनी पार्टी शुरू करने की सोच रहे थे, तब उन्होंने पेरियार के खिलाफ कड़ी बातें की थीं. लेकिन द्रमुक के सत्ता में आने के बाद और खुद के पीछे हटने के बाद, उन्होंने एम करुणानिधि की तारीफों के पुल बांध दिए. यह इस बात का उदाहरण है कि द्रमुक कैसे असली विरोधियों को पहचानने में धैर्य रखती है.