नई दिल्ली : बिहार में 23 जून को विपक्षी एकता की मीटिंग तय है. इसमें विपक्ष के नेता लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने को लेकर रणनीति बनाने को लेकर मिलने वाले हैं. बीजेपी भी बिहार सहित अलग-अलग प्रदेशों में काउंटर रणनीति पर काम करने में जुट गई है. बिहार में बीजेपी का जोर नेताओं के अलावा मतदाताओं पर भी ज्यादा है. इस कड़ी में अलग-अलग प्रदेश, संगठन और केन्द्र के बड़े और छोटे नेता ‘नौ साल बेमिसाल’ कार्यक्रम के तहत मतदाताओं के बीच पैठ बनाने को लेकर लगातार काम कर रहे हैं.
दरअसल, बिहार में घर-घर जाकर लोगों को केन्द्र द्वारा किए गए कार्यक्रमों को बताने की जिम्मेदारी संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है. इसलिए इसकी मॉनिटरिंग करने अब बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह बिहार पहुंच कर करने वाले हैं.
बीजेपी की क्या है काउंटर रणनीति ?
बीजेपी की काउंटर रणनीति छोटी-छोटी पार्टी के नेताओं को जोड़ने से ज्यादा मतदाताओं को जोड़ने की है. बिहार में कार्यकर्ताओं और नेताओं की जिम्मेदारी प्रत्येक घर में पहुंचकर केन्द्र सरकार द्वारा किए गए कामों को बताने का है. बीजेपी हर घर में पहुंचकर ये बताने का प्रयास कर रही है कि पिछले नौ सालों में शुद्ध जल से लेकर 65 पैसे प्रति यूनिट बिजली, गैस कनेक्शन, आवास योजना सहित किसानों के लिए बीजेपी ने कई काम किए हैं.
बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर पहुंचकर ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि हर घर में लाभान्वित लोगों की संख्या कितनी है. वहीं किन योजनाओं के तहत उन्हें लाभ मिल सका है. ज़ाहिर है ऐसा कर बीजेपी के कार्यकर्ता केन्द्र द्वारा किए गए कार्यों को बताकर पीएम मोदी के कार्यकाल को सर्वश्रेष्ठ बताने का प्रयास कर रहे हैं.
बीजेपी जोर शोर से ये बताने का भी प्रयास कर रही है कि कांग्रेस की सरकार में 1 रुपये की राशि के एवज में जनता को पंद्रह पैसे का ही लाभ मिल पाता था. लेकिन डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए पूरा का पूरा पैसा गरीबों को मिल रहा है. ज़ाहिर है दर्जनों प्रदेश के मंत्री, संगठन के छोटे बड़े नेता हर विधानसभा में दो से तीन कार्यक्रम कर इस बात की समीक्षा करने में जुटे हैं कि हर विधानसभा में लाभान्वित लोगों की संख्या कितनी है. वहीं हर घर में एक के अलावा और कितनी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सका है.
नेताओं से ज्यादा मतदाताओं पर BJP का जोर ज्यादा क्यों है?
बीजेपी मानती है कि मतदाताओं के रुझान के हिसाब से नेता भी गठबंधन करने को लेकर आगे आते हैं. इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों को जनता तक पहुंचाना बेहद जरूरी है. बीजेपी पीएम मोदी को शो केस करते हुए उनके नौ साल के कार्यकाल को बेमिसाल करार देने को लेकर ज़मीन पर काम करने में जुटी हुई है. प्रदेश में संगठन के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता, व्यापारी सम्मेलन के अलावा लाभार्थियों का सम्मेलन भी करा रहे हैं.
इसके लिए प्रत्येक विधानसभा में दो से तीन मीटिंग के अलावा हर घर में नौ साल की उपलब्धियों को लेकर पर्चा बांटा जा रहा है. बिहार में अब तक आए दर्जनों नेताओं और मंत्रियों में कैलाश चौधरी, निरंजना ज्योति सहित दूसरे राज्यों के बीजेपी सरकार के मंत्री भी शामिल हैं. पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह महेन्द्र गढ़ का दौरा कर चुके हैं.
29 जून को अमित शाह जाएंगे बिहार
29 जून को गृहमंत्री अमित शाह इसी बाबत बिहार आने वाले हैं और लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेना उनके बिहार आने का मकसद बताया जा रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यक्रम भी झंझारपुर में तय था लेकिन वो फिलहाल कैंसिल हो गया है. बिहार बीजेपी मतदाताओं से संपर्क के अलावा अपने स्थानीय नेताओं को शो केस करने की योजना पर भी काम कर रही है. बीजेपी ऐसे कई नेताओं की फौज तैयार कर धुआंधार प्रचार करने की योजना बना रही है जो जाति के काट के अलावा युवा और प्रखर नेता की तौर पर बिहार में पहचान बना चुके हैं. दरअसल बीजेपी युवा नेता के तौर पर अलग अलग जाति के नेताओं को उतारने की तैयारी में है जो तेजस्वी यादव के जवाब में पीएम मोदी के समर्थन में बिहार की जनता के सामने मैदान में उतरेंगे
विपक्षी एकता की काट पर काम कर रही BJP
बीजेपी जातिगत आधार के अलावा युवा नेताओं की फौज को भी विपक्षी एकता की काट में उतारने की योजना पर काम कर रही है. एनडीए के युवा नेता के तौर पर राज्य में बीजेपी सम्राट चौधरी, दलित और प्रखर युवा नेता के तौर पर चिराग पासवान और संतोष मांझी वहीं विजय सिन्हा सरीखे नेता प्रदेश में सवर्णों के बीच जगह-जगह पर उतर कर पीएम मोदी के नाम पर जोरदार प्रचार करने वाले हैं. इस कड़ी में मुसलमानों को भी रिझाने की रणनीति पर भी बीजेपी काम कर रही है. पश्मांदा मुसलमानों को रिझाने के अलावा लाभान्वित वर्गों के बीच तेज तर्रार मुस्लिम नेता शहनवाज हुसैन के शो केस की तैयारी है. बीजेपी शाहनवाज हुसैन को मुस्लिम नेताओं के बड़े चेहरे के तौर पर उतारने की तैयारी कर रही है.
शाहनवाज हुसैन बीजेपी में मुसलमान के सबसे बड़े चेहरे
बीजेपी नेता डॉ रामसागर सिंह के मुताबिक, मुसलमान का बड़ा वर्ग केन्द्र सरकार के कामों से लाभान्वित हुआ है वहीं बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन बीजेपी में मुसलमान के सबसे बड़े चेहरे हैं जिसका जवाब बिहार में विपक्षी दलों के पास नहीं है. ज़ाहिर है वैश्य और बनिया के अलावा ईबीसी को साधने संजय जायवाल सहित तारकिशोर प्रसाद और सुशील मोदी भी मैदान में होंगे. दरअसल बीजेपी उन पॉकेट्स में इन नेताओं को उतारेगी जहां जातिगत समीकरण के साथ विकास की गति को तेज करने के नाम पर इन नेताओं को उतारे जाने पर भरपूर लाभ मिलने की उम्मीद है.
बीजेपी के ये नेता विपक्षी पार्टियों के सामने बड़े चेहरे
बिहार में यही प्रयास दलित समाज को जोड़ने के नाम पर किया जाएगा और इसके लिए बीजेपी के जनक राम घटक दल के संतोष मांझी, जीतन राम मांझी सहित चिराग पासवान मुख्य नेता के तौर पर विपक्षी पार्टियों के सामने बड़े चेहरे के रूप में सामने होंगे. वहीं ओबीसी और ईबीसी को साधने के नाम पर सम्राट चौधरी के मंत्री रहते हुए उन कामों को भी गिनाया जाएगा, जिसके तहत पंचायती राज्य मंत्री के कार्यकाल में सम्राट चौधरी ने प्रखंड की ताकत को पंचायतों को सौंप दी थी.
इतना ही नहीं, सम्राट चौधरी के पंचायती राज मंत्री के कार्यकाल में बिहार पंचायत स्तर पर ईवीएम से चुनाव कराया जाने वाला पहला राज्य बना था. ज़ाहिर है बीजेपी स्थानीय नेताओं को भी तरजीह देने की योजना पर काम कर रही है लेकिन बीजेपी का पूरा फोकस पीएम मोदी के कार्यकाल में किए गए कार्यों को जोरदार तरीके से भुनाने को लेकर है. इसलिए बीजेपी तमाम स्तर के नेताओं को उतार कर घर-घर का जायजा लेने में जुटी हुई है.