नई दिल्ली: इसी महीने 1 जुलाई से देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत ‘ब्रेकअप’ के मामलों में 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। हालांकि इसको लेकर विशेषज्ञों की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही है। दरअसल रिश्ते, सहमति और विवाह हमेशा से ही कानून के लिए पेचीदा क्षेत्र रहे हैं। यह पेचीदा क्षेत्र फिर से चर्चा में है क्योंकि 1 जुलाई को 164 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह नई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने ले ली है।
क्या है भारतीय न्याय संहिता की धारा 69?
बीएनएस के प्रावधानों में से, धारा 69 ने विशेषज्ञों को परेशान कर दिया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 में कहा गया है कि अगर शादी करने का वादा बिना किसी इरादे के किया जाता है और यौन संबंध स्थापित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को 10 साल तक की कैद हो सकती है। भारतीय न्याय संहिता 2023 के सेक्शन 69 में लिखा है, “किसी महिला को धोखा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाने पर दोषी को 10 साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति बिना किसी इरादे के किसी महिला से शादी करने का वादा करके यौन संबंध बनाता है, तो उसे भी सजा दी जाएगी। साथ ही दोषी को जुर्माना भी देना होगा।” इसमें लिखा है कि यह धारा उन मामलों में लागू होगी जो रेप की श्रेणी में नहीं आते हैं।
धारा 69 नई और अभूतपूर्व है, क्योंकि भारतीय दंड संहिता (IPC) में तथ्यों को छिपाकर या धोखे से यौन संबंध बनाने के संबंध में कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं था। इससे पहले, ऐसे मामलों की सुनवाई भारतीय दंड संहिता की धारा 90 के तहत की जाती थी, जिसमें कहा गया था कि भय या गलत धारणा के तहत दी गई सहमति – सहमति नहीं मानी जाएगी। ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां महिलाओं ने ब्रेकअप होने या रिश्ते टूटने पर बलात्कार का आरोप लगाया है। धारा 69 के तहत महिलाएं झूठे वादों पर यौन संबंध के लिए सहमति जताने का दावा कर सकती हैं। धारा 69 में ‘छल’ का स्पष्टीकरण दिया हुआ है, जिसमें रोजगार या प्रमोशन का झूठा वादा, प्रलोभन और पहचान छिपाकर शादी करना आदि शामिल है।
ब्रेकअप को अवैध बनाती है धारा 69
धारा 69, एक तरह से ब्रेकअप को अवैध बनाती है और अगर रिश्ता शादी में तब्दील होने से पहले ही खत्म गया तो पुरुषों को परेशान किया जा सकता है। इस कानून के तहत महिलाएं ‘शादी का वादा करके’ मुकर जाने वाले पुरुष पर केस कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ब्रेकअप किसी और वजहों से होता है तो भी ‘शादी का वादा करके’ संबंध बनाने का आरोप लगाने का भय बना रहेगा। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीएनएस की धारा 69 के तहत विश्वसनीय सबूतों के बिना पुरुषों को गिरफ्तार करना आसान हो सकता है। वकील इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे ऐसे मामले को कैसे लड़ें जिसमें कई अस्पष्ट पहलू हों।
क्या बोल रहे वकील?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद के वकील अरविंद सिंह ने कहा, “विवाह करने का इरादा भावनात्मक होता है। अगर विवाह नहीं होता है तो कोई यह कैसे साबित कर सकता है कि विवाह करने का उसका इरादा वास्तविक था। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। विवाह करने का इरादा होने पर भी रिश्ते कई कारणों से खत्म हो सकते हैं। यह साबित करना मुश्किल होगा कि कोई व्यक्ति विवाह करना चाहता था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सका।” वकीलों को अपना मामला साबित करने में महीनों या सालों लग सकते हैं, और इससे व्यक्ति और उसकी प्रतिष्ठा और उसके पूरे जीवन को भारी नुकसान हो सकता है। ऐसी बात साबित न कर पाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। एक व्यक्ति को 10 साल तक जेल में रहना पड़ सकता है। उसका पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है।
बीएनएस की धारा 69 के मुद्दे यहीं खत्म नहीं होते। पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद गिरफ्तारी की जा सकती है। हालांकि, अदालत में सबूतों के साथ एक पुख्ता मामला बनाना पूरी तरह से अलग मामला होगा। अदालत सबूतों के आधार पर काम करती है। ऐसे में परिस्थितिजन्य सबूत पेश करने होंगे कि शादी का वादा किया गया था और यौन संबंध आड़ में या बहाने से बनाए गए थे। इसे साबित करना बहुत मुश्किल हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वकील ने बताया, “धारा के तहत मामलों में, महिला के कहने पर ही पुरुष को गिरफ्तार किया जा सकता है। गिरफ्तारी तेजी से होगी, लेकिन अदालत को अभी भी सबूतों की आवश्यकता होगी और यहीं पर समस्या होगी।” इस प्रावधान के कारण अनुचित गिरफ्तारी, अदालती मामलों में वर्षों लग सकते हैं और पुरुष के जीवन के कई पहलुओं को नुकसान हो सकता है। हालांकि पीटीआई से बात करते हुए, वरिष्ठ आपराधिक वकील शिल्पी जैन ने कहा कि धारा 69 में छल के तौर पर ‘पहचान छिपाने’ को शामिल करना काफी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में पुरुषों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है जो उनसे शादी का वादा करके उनके साथ यौन संबंध बनाते हैं। अगर वादा करते समय पुरुषों का शादी करने का कोई इरादा नहीं था तो यह एक अपराध है।’