पटना में दो दिवसीय यात्रा व पर्यटन मेला का किया शुभारंभ
8 से 10 नवम्बर तक बेनीताल, चमोली में होगा तृतीय नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन
देहरादून/पटना। बोधगया जहां भगवान बुद्ध को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था को बुद्धिस्ट सर्किट से और पटना साहिब गुरुद्वारा को पोंटा साहिब से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। यह बात उत्तराखण्ड के पर्यटन धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर-ज्ञान भवन में बिहार सरकार की मेजबानी में दो दिवसीय यात्रा एवं पर्यटन मेला (टीटीएफ) के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
महाराज ने कहा कि देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान होता है। पर्यटन के माध्यम से ही हमें नई जगह की संस्कृति व वहाँ के इतिहास का पता चलता है। हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं, ब्राह्मणों, ऋषि, तपस्वियों ने कहा है कि बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा। तो वहीं पाश्चात्य विद्वान् आगस्टिन ने कहा है कि बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है।
उन्होंने कहा कि बिहार स्थित गंगा की सहयक नदी पुनपुन और गया को जहां पिंड दान करने का महत्व है उसे बद्रीनाथ धाम में स्थित ब्रह्मकपाल से जोड़ते हुए भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड, देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम को भी उत्तराखंड स्थित केदारनाथ से जोड़ा जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को इनके पौराणिक और धार्मिक महत्व की जानकारी मिल सके। इस वर्ष अभी तक लगभग 42 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं।
उत्तराखण्ड पर्यटन की और से शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने को एक नई पहल शुरू की गयी है, जिसमें यात्रियों, श्रद्धालुओं को हैली के माध्यम से भगवान शिव के निवास स्थान आदि कैलाश तथा ऊँ पर्वत के दर्शन कराये जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य में खगोलीय पर्यटन (एस्ट्रो टूरिज्म) को बढ़ावा दिये जाने को कार्य किया जा रहा है। उत्तराखण्ड पर्यटन की और से आयोजित प्रथम दो नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) की अपार सफलता को देखते हुए अब 8 से 10 नवम्बर, 2024 तक बेनीताल, चमोली में तृतीय नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन शुरू होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विवाह के लिए एक आदर्श गंतव्य बनकर उभर रहा है। यहां का नैसृगिक सौंदर्य, जलवायु, लोक विद्या और संस्कृति, अनोखी गतिविधियाँ, विशेष रूप से तैयार किए गए स्थान और स्थानीय आतिथ्य जैसे कारक उत्तराखण्ड को शादियों जैसे विशेष अवसरों की योजना बनाने के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था, जिसके सभी देवी-देवता साक्षी बने थे। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अनेक लोग मौजूद थे।