मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
अल्मोड़ा/देहरादून : अल्मोड़ा एक ऐसा नाम जिसे हर कोई देश -विदेश में जानता हैं. अपने सांस्कृतिक विरासत और हस्तशिल्प के साथ अपने परम्परागत भोजन के लिये प्रसिद्ध रहा है अल्मोड़ा . जिसका अपना एक अलग इतिहास है. एक तरफ सांस्कृतिक नगरी से विख्यात है तो वहीँ दूसरी तरफ प्रदेश की राजनीती का केंद्र भी अल्मोड़ा बना हुआ है, आज से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से. यही कारण है कि अल्मोड़ा को ऐतिहासिक सास्कृतिक और राजनैतिक नगरी के रूप मे भी पुकारा जाता है.
यहाँ आज भी कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें ऐसी हैं जो अपना इतिहास खुद ही बयां करती है . ऐसा ही एक ऐतिहासिक और साँस्कृतिक धरोहर है यहाँ की ‘बोगुन वेलिया की फूल की बेल’ जो मई-जून में अपने पूरे यौवन पर होती है. हर किसी को इसको देख कर प्रेम होना निश्चित है. ऐसा आकर्षण है इस बेल पर. हर कोई निहारता है इसको,तस्वीरें लेता है इसकी और यादों के साथ आगे चल देता है.
आइए हम आपको बताते हैं इसका राज। बता दें कि 1960 में माल रोड स्तिथ भारतरत्न गोविंद बल्लभ पंत जी के पार्क की स्थापना हुई . जो अपने आप मे एक ऐतिहासिक पार्क है . बताया जाता है कि संसार का यह सबसे छोटा पार्क है . इसी कारण इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज किया गया है . जब इस पार्क की स्थापना हुई तभी पार्क की सुंदरता के लिये इस ‘बेगुन वोलिया फूल’ के पेड़ को एक देवदार के पेड़ के साथ लगाया गया जिसको अब 60 वर्ष हो चुके हैं.
जिससे इसका एक इतिहास बन जाता है. हालांकि बोगुन वेलिया एक आम फूल है. जिसको हर कोई जानता है और हर जगह मिलता है. पर अलमोड़ा का यह बेगुन वेलिया इस लिये विशेष है, इसको 60 वर्ष हो चुके है इसका आकार इतना बढ़ा है क्योंकि यह एक बहुत बड़े लंबे-चौड़े देवदार के पेड़ से आलिंगन है. जो अपनी विशाल सौंदर्य से पूरे नगर की शोभा बढ़ाये हुये है. नगर के मालरोड से सटे होने के कारण यह हर गुजरता मुसाफिर हो या यहाँ आने वाले पर्यटको को अपनी सुंदरता से बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है. अब आजकल यह लोगों के लिये एक सेल्फी पॉइंट भी बन रहा है.
साथ ही अब अल्मोड़ा के कई स्थानों में इस फूल को विकसित किया जा रहा है. वर्तमान में रविन्द्र नाथ टैगोर हॉउस राज्य अतिथि गृह सर्किट हाउस चौघपाटा सतीश चंद्र जोशी पार्क आदि स्थलों में भी इसकी शोभा विराजमान है.
जो समय के साथ अलमोड़ा नगर की सुंदरता को और सुशोभित कर रहे हैं.वही नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी बताया कि ‘बोगुन वेलिया की बेल’ का भी अपना एक इतिहास है. यह अल्मोड़ा नगर की सुंदरता को वर्षो से बढ़ाता आया है.
प्रकर्ति प्रेमी और बरिष्ठ पत्रकार हरीश भंडारी ने बताया कि “वह बहुत वर्षों से इस फूल को देखते आये हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा ऐसे फूलों को विकसित करना चाहिये, जिससे ये पर्यटकों के लिये एक आकर्षण का केंद्र बन सके और पर्यटन के साथ भी इसको जोड़ना चाहिए. इस बेल का तो ऐसिहासिक महत्त्व है ही.”
अल्मोड़ा की ही रहने वाली बरिष्ठ पत्रकार व एंकर प्रीती बिष्ट का कहना है जब भी हम अल्मोड़ा आते हैं घर गर्मियों के मौसम में हम इस बेल को जरूर देखने आते हैं. बचपन से हम इसे देखते आये हैं. इस फूल की खूबी देखिये गर्मियों में यह खिलता है और ख़ुशी की फिजां को कायम रखता है, हर कोई इसको देख कर मुस्कराता है.