नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 23 जुलाई 2024 को संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर सबकी निगाहे हैं. हर किसी को उम्मीद है कि देश के विकास के साथ उन्हें भी महंगाई और बेरोजगारी आदि से राहत मिलेगी. मगर एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जारी किया जाने वाला आम बजट इतना आसान नहीं होगा. सरकार को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. खासतौर पर निजी खपत में आई गिरावट और रोजगार के अवसर कम होने जैसे मसलें चिंता का सबब है. एक्स्पर्ट्स ने सरकार को उपभोक्ता खर्च में सुधार और लॉन्ग टर्म के लिहाज से रोजगार वृद्धि के समर्थन के लिए टैक्स कटौती और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने जैसे उपायों पर ध्यान देने को कहा.
निजी खपत के पिछड़ने से बढ़ी समस्या
भारत हाल के वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि निजी खपत, जिसमें देश भर में घरों और व्यवसायों द्वारा खर्च शामिल है, केवल 4 प्रतिशत की दर से बढ़ी. उपभोक्ता खर्च के पिछड़ने से समस्या बढ़ सकती है. क्योंकि जब लोग खर्च नहीं करेंगे तो कंपनियां उत्पादन नहीं करेंगी. इससे वे वेतन व अन्य भुगतान भी नहीं करेंगे, जिससे सरकार को टैक्स नहीं मिल पाएगा. ऐसे में अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि केंद्रीय बजट 2024 में सरकार को उपभोक्ता खर्च में सुधार और दीर्घकालिक रोजगार वृद्धि का समर्थन करने के लिए टैक्स कटौती और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना चाहिए.
ग्रामीण और शहरी दोनों खपत में दिखी गिरावट
नेशनल अकाउंट्स के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में भारत के निजी खपत में 4 प्रतिशत की वृद्धि महामारी के वर्षों को छोड़कर 20 साल के निचले स्तर पर थी. घरेलू खपत सर्वेक्षण के अनुमानों में वित्त वर्ष 2023 में ग्रामीण और शहरी दोनों खपत में गिरावट दर्ज की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ चुनिंदा क्षेत्रों जैसे – ऑटो रिटेल, खाद्य महंगाई दर आदि में गिरावट देखने को मिली. सर्वे में पाया गया कि उच्च आय वर्ग वाले खर्च कर रहे हैं, जबकि निम्न आय वर्ग अपने उपभोग खर्च में कटौती कर रहे हैं. इसके अलावा आईटी जैसे क्षेत्रों में कम नियुक्तियों के चलते भी उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है. इनमें सुधार के लिए एक्स्पर्ट्स का सरकार को सुझाव है कि वे कल्याणकारी योजनाओं जैसे- पीएम आवास योजना, पीएम किसान सम्मान निधि योजना, आदि पर ज्यादा खर्च करें. साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान दें.