भोपाल : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल नवंबर और दिसंबर में होंगे। यानी पूरे एक साल बाद। दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई है। शिवराज सिंह चौहान दिसंबर में मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। कयास लग रहे हैं कि गुजरात चुनाव के बाद मध्यप्रदेश पर पार्टी का फोकस होगा। सिर्फ उन मंत्रियों की ही जिम्मेदारी कायम रखी जाएगी, जो अब तक परफॉर्म करते आए हैं। नॉन-परफॉर्मिंग मंत्रियों का मंत्री पद छीना जाना तय माना जा रहा है। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए विधायक भी शामिल हैं। कई नए चेहरों को मंत्री बनाया जा सकता है।
शिवराज की ही चलेगी, बाकियों की नहीं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 25 और 26 नवंबर को मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। इसमें राज्य और केंद्र की योजनाओं की स्थिति भी देखी जाएगी। शिवराज का मंत्रियों के साथ मंथन प्रशासन अकादमी में होगा। इसके लिए विभाग प्रमुखों को रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। इस तरह शिवराज को फिर से पावरफुल बनाने की तैयारी है। यानी अगला चुनाव भी शिवराज के नेतृत्व में लड़ा जा सकता है। इससे उन अटकलों पर भी विराम लगेगा, जो अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की ओर इशारा करती हैं।
इस समय टीम शिवराज में है चार जगह खाली
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य है और इस हिसाब से इसका 15% यानी अधिकतम 35 मंत्री शिवराज कैबिनेट में हो सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 31 सदस्य ही कैबिनेट में हैं। ऐसे में चुनाव से पहले जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए चार मंत्रियों के रिक्त पद भरने और मंत्रियों के विभाग में फेरबदल की बात की जा रही है। सूत्रों का दावा है कि शिवराज को केंद्रीय नेतृत्व से भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की अनुमति मिल गई है।
दावेदारों की लंबी लाइन
शिवराज सिंह चौहान चुनावी साल में अपने मंत्रिमंडल में विस्तार करते है। अभी सरकार का फोकस आदिवासी वोटरों को साधने पर है। साथ ही मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय असंतुलन को भी ठीक करना है। ऐसे में सरकार जोबट में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई सुलोचना रावत और विंध्य-महाकौशल में क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए राजेंद्र शुक्ला, शरदेंदु तिवारी, संजय पाठक को मौका दे सकती है। इसके अलावा पूर्व मंत्रियों को भी शामिल कर उनकी नाराजगी दूर करने की रणनीति पर भी काम कर सकती है।
सिंधिया कोटे के मंत्री हटेंगे
शिवराज कैबिनेट में अभी सिंधिया कोटे से छह कैबिनेट और तीन राज्यमंत्री हैं। ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी कोर कमेटी के पास कुछ मंत्रियों की शिकायतें भी पहुंची है। आगामी चुनाव को देखते हुए बीजेपी विपक्ष को किसी प्रकार का कोई मुद्दा नहीं देना चाहती। कुछ सिंधिया समर्थक मंत्रियों का परफॉर्मेंस भी ठीक नहीं है। उन्हें हटाकर नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि सिंधिया और उनके समर्थकों का पार्टी में सत्ता में लाने का काम पूरा हो चुका है और अब भाजपा अपने स्तर पर अगले चुनावों की तैयारी कर सकती है। अगर यह सच निकला तो सिंधिया की पार्टी और सरकार में ताकत कम हो जाएगी।