नई दिल्ली: भारत के डटे रहने के बाद आखिरकार कनाडा को अपने राजनयिकों को भारत से हटाना पड़ा है। कनाडा के 41 राजनयिक भारत छोड़कर चले गए हैं। कनाडा की विदेश मंत्री ने खुद इसकी पुष्टि की है। इससे पहले उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से गुहार लगाई थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
भारत के ऐक्शन से बौखलाया कनाडा
ओटावा: कनाडा की विदेश मंत्री मेलानियो जॉली के कई बार गुहार लगाने के बाद भी भारत अपने फैसले पर अड़ा रहा। आखिरकार कनाडा को अपने 41 राजनयिकों को भारत से निकालना पड़ गया है। कनाडा की विदेश मंत्री ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की कि 41 कनाडाई राजनयिक भारत छोड़ चुके हैं। इससे पहले मेलानियो जॉली ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से सीक्रेट मुलाकात की थी लेकिन भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। भारत ने साफ किया कि जितने भारत के राजनयिक कनाडा में हैं, उतने ही कनाडा के भी हिंदुस्तान में रहेंगे। भारत के इस फैसले के बाद अब कनाडा बौखला गया है और एक पूर्व राजनयिक ने तो यहां तक कह दिया कि भारत ने वह किया है जो सोवियत संघ ने भी नहीं किया था। यह 40 से 50 सालों में पहली बार हो रहा है।
दरअसल, कनाडा में भारत के केवल 21 राजनयिक हैं, वहीं कनाडा के 62 राजनयिक भारत में थे। ये दिल्ली स्थित उच्चायोग, मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु के महावाणिज्य दूतावासों में तैनात थे। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के हाथ होने का बेबुनियाद आरोप लगाने के बाद भारत ने कनाडा के खिलाफ यह मास्टरस्ट्रोक चला है। इसका असर भी साफ नजर आने लगा है। भारत के इस पलटवार पर एक पूर्व कनाडाई राजनयिक गार पार्डी ने सीबीसी न्यूज से कहा कि मुझे ऐसी कोई दूसरी घटना याद नहीं है। दूसरे देश के साथ राजनयिक रिश्ते को तोड़ दिया गया और सभी को बाहर जाने के लिए कह दिया गया।
पिछले 50 साल में कनाडा के साथ ऐसा
पार्डी ने कहा कि मुझे पिछले 40 से 50 वर्षों में ऐसी कोई दूसरी घटना याद नहीं है जहां इस तरह की घटना घटी हो। यहां तक कि सोवियत संघ के साथ रिश्तों के सबसे खराब दौर में भी आमतौर पर कुछ ही राजनयिकों को निकाला जाता था। पूर्व कनाडाई राजनयिक जेफ नाकिवेल ने माना है कि भारत का यह कमद असाधारण है। उन्होंने कहा कि कनाडा को वीजा की बहुत ज्यादा डिमांड को देखते हुए कनाडा को भारत में बहुत बड़ी तादाद में राजनयिक रखने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि भारत कनाडा के लिए छात्रों का बहुत बड़ा स्रोत है और भारत से ही बड़ी तादाद में प्रवासी भी आते हैं।
भारत के इस सख्त रुख के बाद कनाडा की विदेश मंत्री के सुर बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा भारतीय राजनयिकों के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करने जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इससे राजनयिक खतरे में आ जाएंगे। जॉली ने कहा कि राजनयिक छूट हटाना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है और इसी वजह से कनाडा भारतीय राजनयिकों के खिलाफ इसी प्रकार का कदम उठाने की धमकी नहीं देगा। उन्होंने कहा, ‘राजनयिक विशेषाधिकार और छूट को एकतरफा तरीके से हटाया जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और राजनयिक संबंधों पर जिनेवा संधि का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसा करने की धमकी देना अनुचित और तनाव बढ़ाने वाला है।’
भारत के तीन शहरों में कनाडा ने रोकी सेवाएं
जॉली ने कहा कि भारत के फैसले से दोनों देशों के नागरिकों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं के स्तर पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कनाडा भारत के तीन प्रमुख शहरों में निजी सेवाएं रोक रहा है। इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत से कनाडाई राजनयिकों की संख्या कम किए जाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि उनकी संख्या कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या से अधिक है।