न्यूयॉर्क। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राष्ट्रपति रहते हुए लिए गए कई फैसलों या कृत्यों के लिए उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. डोनाल्ड ट्रंप पर राष्ट्रपति रहते हुए 2020 के चुनाव नतीजों को पलटने की साजिश रचने का आरोप था, जब उनके समर्थकों ने अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया था. इसे लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था.
डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन की एक निचली अदालत में अपील की थी कि उन पर आपराधिक मामले न चलाएं जाएं, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते उन्हें संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है. उनकी इस अपील को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. हालांकि, शीर्ष अदालत का यह फैसला सर्वसम्मत न होकर 6-3 से विभाजित रहा. यानी संवैधानिक बेंच में शामिल 9 जजों में से 6 फैसले के समर्थन और 3 विरोध में रहे. फैसला मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने लिखा.
ट्रंप ने बताया संविधान और लोकतंत्र की जीत
डोनाल्ड ट्रंप ने अदालत के फैसले को संविधान और लोकतंत्र की बड़ी जीत बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जो बाइडेन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया है. बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप इस साल के अंत में होने वाले अमेरिकी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हैं. वह राष्ट्रपति जो बाइडेन को चुनौती दे रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कैपिटल हिल केस को वापस ट्रायल कोर्ट भेज दिया है. माना जा रहा कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में अब राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही सुनवाई करेगा.
हश मनी केस में सुनवाई पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप को पोर्न स्टार को पैसे देकर चुप कराने (Hush Money Case) के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और 11 जुलाई को सजा सुनाई जानी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि ट्रंप को आपराधिक केस में छूट उसी मामले में मिलेगी जिन पर उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निर्णय लिए. उन्हें निजी आपराधिक मामलों में छूट नहीं मिलेगी. ट्रंप पर पोर्न स्टार को 2016 में पैसे देकर चुप कराने के आरोप हैं, जब वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे. ऐसे में यह केस ट्रंप के निजी आपराधिक मामले के रूप में देखा जाएगा.
भारतवंशी सांसद प्रमिला जयपाल ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ‘विनाशकारी’ बताया. उन्होंने इसे ‘राइट विंग कोर्ट’ का फैसला बताया. उन्होंने कहा कि इस फैसले से राष्ट्रपति को आपराधिक काम करने का लाइसेंस मिल जाएगा और वह इसके लिए जवाबदेह नहीं होगा. जिन तीन जजों ने फैसले से असमति जतायी है, उनकी नियुक्ति बाइडेन प्रशासन के दौरान हुई थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके 6 साथियों ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कानून से बड़ा बना दिया है.