विकाश शुक्ला की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
उमरिया। जिला चिकित्सालय एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। चिकित्सालयीन प्रबंधन अपने उदासीन रवैया, लचर व्यवस्था और मरीजों को हर समय रेफर करने को लेकर तो मशहूर था ही अब जिला चिकित्सालय अपने अजब-गजब हरकतों के कारण भी बदनाम हो गया। यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को अपने नवजात शिशुओं को लेकर भय सताने लगा है। रविवार को हुए जिला चिकित्सालय में नवजात शिशुओं के बदलने की घटना से न सिर्फ नवजात शिशुओं के परिजनों में खौफ पैदा कर दिया बल्कि जिला चिकित्सालय के लड़खड़ाई व्यवस्था और घोर लापरवाही का जीता जगता उदाहरण बन वहां की पोल खोल दी है।
यह हुआ शासकीय चिकित्सालय में
रविवार दोपहर बाद प्रसूता के परिजनों ने जमकर हंगामा किया जिसकी वजह नर्सों द्वारा प्रसूता के नवजात शिशु को बदल लिया जाना बताया जा रहा है। आरोप है कि शुक्रवार को डिलीवरी के दौरान दो गर्भवती महिलाओं को अलग अलग शिशु पैदा हुए थे। जिसमें जिले के बिलासपुर अंतर्गत आने वाले गांव बीजापुरी की एक महिला अंजली बर्मन को बेटा और वहीं दूसरी महिला मझगवां निवासी राजकुमारी कोल को बेटी हुई थी। बच्चे का वजन कम होने की वजह से उसे शिशु गहन चिकित्सा इकाई में रखकर उपचार किया जा रहा था। रविवार को जब नवजात शिशु की दादी तेल मालिश के लिए बच्चे को लेने शिशु गहन चिकित्सा इकाई गई तो नर्सों ने उन्हें एक बच्ची थमा दी। बच्चे की दादी ने आपत्ति की लेकिन नर्स नहीं मानी और बहस करने लगी। हताश दादी ने उमरिया स्थित अपने रिश्तेदारों को फोन पर सूचना देकर जिला अस्पताल बुलवाया। गहमा गहमी बढ़ती देख नर्सों ने अपनी गलती मानी और दादी को उसका सही बच्चा लौटाया बाद में आपसी सहमति से मामला सुलझा।
लापरवाही की खुली पोल
वैसे तो जिला चिकित्सालय हमेशा से लापरवाही को लेकर विवादों में बना रहता है और स्वास्थ्य महकमा को वहां की लचर व्यवस्थाओं से भी कोई सरोकार नहीं है। शायद इसी वजह से शासकीय चिकित्सालय की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। बीते दिन हुई इस तरह की गम्भीर लापरवाही ने जिस तरह दोनों बच्चों की मांओं को ही बदल दिया था इस प्रकार की लापरवाही किसी बड़े घटना को अंजाम देने की ओर इशारा करती है। वहीं इस घटना ने अस्पताल महकमे की जिम्मेदारी और मरीजों के प्रति उनके रखरखाव की भी पोल खोल दी।
इन्होंने कहा
तेल मालिश के लिए बच्चे को लेने गई थी तो नर्सों द्वारा बच्ची दे दी गई, जब अपने बेटे को बुलाई तो हल्ला करने के बाद कमरे से पांच मिनट के लिए बाहर भगा दिया गया, उसके बाद माफ़ी मांगते हुए नर्सों द्वारा हमारा बच्चा वापस किया गया।
ऊषा बर्मन, नवजात बच्चे की दादी
मेरे बहु के बेटी हुई थी, लेकिन मुझे बेटा दिए थे तो मैंने कहा कि मेरे बेटी है, तो नर्स बोली बहस मत करो और बाहर भगा दिया गया पांच मिनट बाद दरवाजा खोलकर मेरी बेटी दी गई और उनको बेटा दे दिया गया। रामबाई कोल, नवजात बच्ची की दादी
मुझे ऐसी कोई घटना की जानकारी नहीं है, मामला आप लोगों के द्वारा संज्ञान में लाया गया है, जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
संदीप सिंह, आरएमओ, शासकीय चिकित्सालय उमरिया