हल्द्वानी: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सुनवाई की. मामले में सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर जोशी और अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं और अपील पर सुनवाई की गई. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को कोई अंतरिम राहत नहीं देते हुए, अगली सुनवाई के लिए 15 जून की तिथि दी है.
हाईकोर्ट ने कहा रविशंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी खंडपीठ ने पूर्व में दिए गए निर्णय को सुरक्षित रखा है. जिसमें आदेश आना अभी बाकी है. इसलिए इससे संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई अभी संभव नहीं है. मामला में 9 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपी एक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाई करें.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है. जिस पर करीब 4365 लोगों का कब्जा हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया है, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए हैं. इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल को दो बार सुरक्षा दिलाए जाने के लिए पत्र दिया. जिसपर आज तक कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया गया.
जबकि, दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं. ताकि रेलवे का विस्तार हो सके. इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और राज्य सरकारों की होगी. अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं.