नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी लेडी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच ठाणे में दो बच्चों के यौन उत्पीड़न की खबर ने सबको शर्मसार कर दिया है. इस दौरान एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के 25 मौजूदा सांसदों और विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित आरोप हैं.
पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा सांसद-विधायकों पर एफआईआर
पश्चिम बंगाल के बाद आंध्र प्रदेश में 21 सांसद और विधायक और ओडिशा में 17 सांसद और विधायकों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामले दर्ज हैं. चुनाव सुधार से जुड़ी एक संस्था की चौंकाने वाली हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 151 मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामों में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों का जिक्र किया है. इसमें पश्चिम बंगाल में ऐसे मामलों का सामना करने वाले सांसदों की संख्या सबसे ज्यादा है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने साल 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारतीय चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की. संगठन ने इस दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों का सामना करने वाले 16 सांसदों और 135 विधायकों की शिनाख्त की.
16 मौजूदा सांसद और विधायक के खिलाफ रेप के मामले
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 मौजूदा सांसद और विधायक ऐसे हैं जिन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है. इसमें न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. इनमें से दो सांसद और 14 विधायक शामिल हैं. आरोपों में एक ही पीड़ित के खिलाफ बार-बार अपराध करना भी शामिल है, जो इन मामलों की गंभीरता को और रेखांकित करता है.
राजनीतिक दलों में, महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले घोषित करने वाले नेताओं में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिनिधियों (54 सांसदों और विधायकों) की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद कांग्रेस के 23 और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के17 ऐसे ही सांसद और विधायक हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के पांच-पांच मौजूदा विधायक बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
चुनाव आयोग, सियासी पार्टियों, कोर्ट और वोटर्स से अपील
एडीआर ने इन निष्कर्षों के आधार पर जारी अपनी सिफारिशों में चुनाव आयोग, राजनीतिक पार्टियों, कोर्ट और वोटर्स से अपील की हैं. इसमें राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों, विशेषकर बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों के आरोपों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने से परहेज करने की जरूरत पर जोर दिया गया है.
रिपोर्ट में सांसदों और विधायकों के खिलाफ अदालती मामलों की तेजी से सुनवाई करने, पुलिस द्वारा पेशेवर और गहन जांच सुनिश्चित करने की अपील भी की गई है. साथ ही एडीआर ने मतदाताओं से ऐसे आरोपों वाले उम्मीदवारों को चुनने से बचने का आग्रह भी किया है.