नई दिल्ली : सरकार ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर विचार किया है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह एक दशक में पहली बार होगा कि आधार वर्ष में संशोधन किया जा रहा है.
सटीकता के लिए नई गणना
सूत्रों के अनुसार, आधार वर्ष को बदलने का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर पेश करना है. इसके तहत सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति (NCNAS) को सुझाव देने की योजना बनाई है. यह समिति, जो विश्वनाथ गोल्डर की अध्यक्षता में कार्यरत है, वर्ष 2026 की शुरुआत तक इस कार्य को पूरा कर सकती है.
नए आंकड़ों की तैयारी
नई गणना में कुछ पुराने उत्पादों को हटाने का प्रस्ताव है, जैसे लालटेन, वीसीआर, और रिकॉर्डर. इसके स्थान पर स्मार्ट घड़ियों, स्मार्टफोन और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों जैसे नए उत्पादों को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा, जीएसटी आंकड़ों को भी गणना में शामिल करने की योजना है, जिससे आंकड़ों की सटीकता में सुधार होगा.
असंगठित क्षेत्र पर ध्यान
सरकार असंगठित क्षेत्रों की बेहतर तस्वीर पेश करने के लिए कई सांख्यिकीय सुधार कर रही है. मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (NSSO) कई आगामी सर्वे को आयोजित करेगा. इनमें घरेलू पर्यटन व्यय सर्वे, राष्ट्रीय परिवार यात्रा सर्वे, स्वास्थ्य पर व्यापक सर्वे, और शिक्षा से संबंधित संकेतकों पर सर्वे शामिल हैं.
भविष्य की योजनाएं
आगामी वित्त वर्ष 2026-27 में देश में जनजातियों की जीवन स्थिति, अखिल भारतीय लोन और निवेश सर्वे, और स्थिति आकलन सर्वे किए जाएंगे. इन सर्वे का मकसद भारत की विविधता और विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति को समझना है. गौरतलब है कि यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतर समझ और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. सरकार की कोशिश है कि नए आंकड़े अधिक सटीक और समकालीन हों, जिससे नीतियों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके.