देहरादून : उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव-2024 से पहले कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां हैं। उत्तराखंड में इन लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस को प्रत्याशियों के चयन के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है। हालांकि, कांग्रेस हाईकमान का दावा है कि बिना किसी चुनौती के सभी एंगलों पर फोकस करते हुए सही और जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा।
उत्तराखंड में कांग्रेस के सामने गढ़वाल और टिहरी लोकसभा सीटों पर ज्यादा चुनौतियां हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों संसदीय क्षेत्रों की 28 विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस कुल जमा तीन विधायक ही जिता पाई थी। गत दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत लगातार 50 प्रतिशत से ज्यादा रहने के कारण भी कांग्रेस पर इस मनोवैज्ञानिक आंकड़े का दबाव है।
लोकसभा चुनाव में अब करीब एक साल का समय बचा है। सियासी दलों ने अंदरखाने तैयारी शुरू कर दी है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में दलीय प्रदर्शन के को आधार मानकर तुलना की जाए तो दो लोकलोकसभा चुनाव का आंकलन किया जा सकता है। प्रदेश की पांचों लोकसभा क्षेत्रों में 14- 14 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
जिसमें से कांग्रेस का सबसे कमजोर प्रदर्शन पौड़ी सीट पर रहा है। यहां कांग्रेस के पास सिर्फ एक बद्रीनाथ विधानसभा सीट है, शेष 13 सीट पर भाजपा का कब्जा है। इसी तरह टिहरी में भी कांग्रेस के पास कुल जमा दो विधायक हैं। कांग्रेस का भाजपा के साथ करीबी मुकाबला सिर्फ हरिद्वार सीट पर ही नजर आता है, जहां पार्टी के पास भाजपा के छह के मुकाबले पांच विधायक हैं।
लेकिन यहां बसपा के उभार का क्या असर होगा? इस सवाल का जवाब मिलने के बाद ही कोई सियासी अनुमान लगाया जा सकता है। बसपा के हरिद्वार में दो विधायक हैं, अब निर्दलीय उमेश कुमार की पत्नी के भी पार्टी में आने से बसपा यहां मजबूती से तीसरी ताकत के रूप में उभर रही है।
विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि गढ़वाल के मुकाबले कांग्रेस कुमांऊ में ज्यादा मजबूत है। कांग्रेस नैनीताल में भाजपा से दो विधायकों से ही पीछे हैं, वहीं अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ में भी भाजपा के नौ के मुकाबले कांग्रेस पांच विधायकों के साथ टक्कर देने की स्थिति में है।
लोकसभा में भाजपा मजबूत
उत्तराखंड में लोकसभा-विधानसभा के पिछले चार चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस पर मत प्रतिशत के मामले में निर्णायक बढ़त बनाकर रखी हुई है। लोकसभा में दोनों बार भाजपा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए हैं। जबकि इन चार चुनावों में कांग्रेस का सर्वाधिक मत प्रतिशत 2022 विधानसभा चुनाव में 37.9 तक ही पहुंच पाया है। जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 2014 में 34.40 और 2019 में 31.74 प्रतिशत मत ही जुटा पाई है।