नई दिल्ली। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने सोमवार (26 फरवरी ) को एक बड़ी घोषणा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके चंद्रयान SLIM ने चमत्कार कर दिया है. जापान का चंद्रमा लैंडर SLIM यान चांद की सर्द रात को मात देने के बाद फिर से जिंदा हो गया है. बताया जा रहा है, कि SLIM की बैट्री ने काम करना बंद कर दिया था.
JAXA ने कहा कि यह चमत्कार जब हुआ तब सूरज की किरणों की दिशा बदली और SLIM की बैट्री फिर से चार्ज हो गई. करीब दो हफ्ते की भीषण ठंड को मात देने के बाद एक बार फिर से यह जापानी यान चांद की सतह पर सक्रिय हो गया.
बताया जा रहा है, कि जापानी यान को लैंड करने में भारत के चंद्रयान मिशन ने बहुत मदद की है. इससे पहले दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने SLIM के जिंदा होने की उम्मीद छोड़ दी थी.
जापान ने रच दिया इतिहास
इससे पहले पिछले महीने 19 जनवरी को जापानी यान SLIM ने एकदम सटीक लैंडिंग करके इतिहास रच दिया था. ऐसे में जापान अब भारत, चीन और अमेरिका समेत उन पांच देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिन्होंने चंद्रमा पर जांच के लिए प्रोब भेजा है. हालांकि लैंडिंग के बाद, लैंडर पलट गया था और स्लीप मोड में चला गया था. बताया जा रहा है, कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसके सोलर पैनल की दिशा इसकी बैटरियों को रिचार्ज नहीं करने दे रहा था. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने खुलासा किया कि जब दो हफ्ते बाद सूरज का कोण बदला तो SLIM रिचार्ज हो गया और यान जाग गया. जिसके बाद SLIM ने पृथ्वी के साथ फिर से संचार करना शुरू किया.
मिशन का मुख्य उद्देश्य सटीक और स्थानीय लैंडिंग करना
JAXA ने बताया, कि चंद्रमा के लैंडर को कड़ी ठंडी चंद्र रातों के लिए डिजाइन नहीं किया गया था. जापान ने साल 2023 में SLIM के सफल प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण अचीवमेंट हासिल किया है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक सटीक और स्थानीय लैंडिंग को पूरा करना था. इसका लक्ष्य चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास शियोली क्रेटर के आसपास 100 मीटर के दायरे में उतरना था, जो पहले कभी हासिल नहीं हुआ था.
हालांकि SLIM लक्ष्य से लगभग 55 मीटर दूर उतरा, फिर भी यह सटीक लैंडिंग क्षेत्र के अंदर ही उतरा था. चांद पर उतरने के बाद SLIM ने लगभग 10 चट्टानों पर अवलोकन किया. SLIM Mission की टीम को विश्वास है, कि जापानी यान के निष्कर्ष नेविगेशन तकनीकों की उन्नति में योगदान देंगे.
जापान ने पिछले सप्ताह जब अपना नया प्रमुख रॉकेट H3 सफलतापूर्वक लॉन्च किया, तब उसने एक और मील का पत्थर हासिल किया था. H3 ने 17 फरवरी को उड़ान भरी और अपनी लगभग दो घंटे की उड़ान के दौरान एक छोटे उपग्रह के साथ-साथ एक माइक्रो उपग्रह और एक डमी उपग्रह छोड़ा. JAXA परियोजना प्रबंधक मसाशी ओकाडा, जो एक दशक से नए रॉकेट के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, कि नवजात H3 ने अभी अपना पहला प्रक्षेपण किया है.