सतना l नौकरी पाने के लिए लोग क्या क्या कारनामे नहीं कर जाते, ऐसे ही कुछ कारनामों के बारे में आपने भी सुना ही होगा। लेकिन आज हम आपको नौकरी पाने के लिए एक ऐसे कारनामे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके संबंध में आप सोच तक नहीं सकते। दरअसल यह कारनामा उत्तर प्रदेश निवासी एक व्यक्ति ने किया है जिसके बाद उसने वन विभाग में नौकरी तक पा ली।
इसके लिए उसने मध्यप्रदेश(मप्र) निवासी अपने एक रिश्तेदार (जो उसके पिता का सहनाम था) को अपना ही पिता बना लिया और एमपी के आरक्षण का फायदा उठाते हुए वन विभाग में वन दरोगा बन बैठा। मामले की शिकायत शासन स्तर पर मिलने के बाद अब जांच शुरू कर दी गई है। शासन स्तर से आई जांच को देखते हुए डीएफओ ने एसडीएम मझगवां से इस संबंध में रिपोर्ट चाही है। मामले का खुलासा सीएम हेल्पलाइन के जरिए हुआ है।
दरअसल प्रेमनारायण आरख वन रक्षक वनमंडल सतना में कार्यरत है। इनका चयन वन रक्षक पद पर सितंबर 2008 में अनुसूचित जनजाति वर्ग में किया गया था। इन्होंने नायब तहसीलदार मझगवां द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। इस जाति प्रमाण पत्र के संबंध में डीएफओ ने एसडीएम मझगवां से कई बार जानकारी चाही है, लेकिन एसडीएम कार्यालय द्वारा लगातार इस जानकारी को छिपाया जा रहा है।
ऐसे समझें मामला
प्रधान मुख्य वन संरक्षक को दी गई शिकायत में बताया गया है कि रामखेलावन पुत्र पंचा और प्रेमनारायण पुत्र रामखेलावन का पैतृक मूल जन्म स्थान ग्राम ढोलबजा पो. हरिहरपुर तहसील कर्वी जिला चित्रकूट है। वह उप्र का मूल निवासी है। वोटर आईडी यूपी/59316य0567079 और डब्लूकेए0416719 वार्ड सं 10 है। प्रेमनारायण का मामा ग्राम सेजवार पो. हरदुआ तह. मझगवां जिला सतना मप्र(MP) का मूल निवासी है। इसके मामा का नाम भी रामखेलावन है।
आरोप है कि प्रेमनारायण मामा को अपना पिता बनाकर और जाति निवास गलत दर्शाकर वन दरोगा के पद पर बरौंधा मझगवां में नौकरी कर रहा है। जब प्रेमनारायण पुत्र रामखेलावन का जाति निवास प्रमाण पत्र बना था तब प्रेमनारायण के पिता रामखेलावन पुत्र पंचा मप्र का निवासी नहीं था। उत्तर प्रदेश में आरख जाति पिछड़ी जाति में आती है। मप्र में आरख जाति अनुसुचित जनजाति में आती है। प्रेमनारायण मध्यप्रदेश के फर्जी जाति और निवास प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहा है।
एक साल से लंबित है जांच
इस मामले की जांच जनवरी 2021 में मझगवां एसडीएम को दी गई थी। लेकिन अभी तक इस मामले का जांच प्रतिवेदन नहीं दिया गया है। जिसके बाद मामला सीएम हेल्पलाइन तक पहुंचा है।