रायपुर। तीन दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं. इन चुनावी राज्यों में एक प्रदेश छत्तीसगढ़ भी है, जहां दो चरणों में वोटिंग हुई थी. वहां वोट प्रतिशत 76.31 फीसदी रहा जो साल 2018 के मुकाबले (76.88) मामूली नीचे था. चुनाव के नतीजों से पहले सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी बीजेपी दोनों में हलचल है. इस बीच कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर नतीजे तय हो सकते हैं.
बीजेपी की बात करें तो उसने चुनाव से पहले महतारी वंदना योजना (Mahtari Vandan Yojna) का वादा किया था. इसमें शादीशुदा गृहणियों को हर साल 12 हजार रुपये दिए जाने का वादा किया गया. इसका ऐलान ‘मोदी की गारंटी 2023’ में किया गया. बीजेपी के इस घोषणापत्र को गृह मंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने जारी किया था.
कांग्रेस ने किया काउंटर
इसके बाद कांग्रेस ने ‘भरोसे का घोषणापत्र’ जारी किया था. इसमें महतारी न्याय योजना समेत 20 वादे किए गए. इसमें गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी देने की बात भी कही गई. ऐसे वादों के बावजूद कांग्रेस ने पहले चरण की वोटिंग के बाद गृह लक्ष्मी योजना का वादा किया. इसमें चुनाव जीतने पर राज्य की हर महिला को 15 हजार सालाना देने की बात कही गई. इसे बीजेपी की महतारी वंदना योजना का काउंटर माना गया.
कांग्रेस के इस ऐलान से लगने लगा कि पहले चरण की वोटिंग से पार्टी संतुष्ट नहीं है और उसे लगने लगा है कि बीजेपी को उसके ऐलान से फायदा हो रहा है.
ये भी माना जा रहा है कि पहली बार वोट डाल रहे युवा और रोजगार की मांग कर रही जनता ने बीजेपी को मौका देने का मन बनाया है. क्योंकि बीजेपी ने वादा किया है कि दो साल में एक लाख सरकारी पदों पर नौकरी दी जाएगी.
युवा वोटबैंक कांग्रेस से दूर जाता इसलिए भी लग रहा है क्योंकि भ्रष्टाचार के कुछ मामलों ने मौजूदा सरकार की छवि धूमिल की है.
कांग्रेस की छवि किसान समर्थक वाली
वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस अपनी छवि किसान समर्थक वाली बनाने में कामयाब हुई है. धान की खरीदी पर पेमेंट बढ़ाने समेत कुछ फैसलों ने राज्य में किसानों को फायदा पहुंचाया है.
नतीजों से पहले कांग्रेस ने दावा किया है कि वह राज्य की 90 में से 75 सीट जीतेगी. हालांकि, एक्सपर्ट इसके चांस कम बताते हैं. फिलहाल राज्य में 2018 जैसा माहौल नहीं है. किसी भी पार्टी के पक्ष में लहर नहीं दिखती. बीजेपी राज्य में बिना सीएम फेस के उतरी है, एक्सपर्ट मानते हैं कि ये बात पार्टी के खिलाफ भी जा सकती है.