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CM के मामले में सबसे ‘कंजूस’ है छत्तीसगढ़

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
12/12/23
in राज्य, समाचार
CM के मामले में सबसे ‘कंजूस’ है छत्तीसगढ़
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रायपुर: लंबी कवायद और कई दौर की चली बैठकों के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ को नया मुख्यमंत्री मिल गया है. 3 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में भारतीय जनता पार्टी ने सारे आंकड़ों और अनुमानों को गलत साबित करते हुए राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री तय करने में एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त लग गया. बीजेपी ने आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुना है. वह प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री होंगे.

लंबे संघर्ष के बाद साल 2000 में भारतीय नक्शे पर 3 नए राज्यों का उदय हुआ और नवंबर में ही तीनों राज्य अस्तित्व में आए. सबसे पहले छत्तीसगढ़ एक नवंबर को देश का 26वां राज्य बना. फिर 9 नवंबर को उत्तराखंड 27वें राज्य के रूप में देश के नक्शे पर आया. अंत में 15 नवंबर को झारखंड 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. देखा जाए तो मुख्यमंत्री देने के मामले में छत्तीसगढ़ को कंजूस राज्यों में शुमार किया जा सकता है.

उत्तराखंड में 23 सालों में 14 बार शपथ

हालांकि जब ये राज्य अस्तित्व में आए तब उस समय के राजनीतिक समीकरण के हिसाब से इन राज्यों में सरकार बनी थी. इस तरह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की तो उत्तराखंड और झारखंड में बीजेपी की सरकार बनी थी. तीनों ही राज्य क्षेत्रफल के हिसाब से ज्यादा बड़े नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक लिहाज से इनकी अहम भूमिका रही है.

लेकिन इन राज्यों में साल 2000 से अब तक के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री देने के मामले में या यूं कहें कि राजनीतिक स्थिरता के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बीस मजबूत मालूम पड़ता है. साल 2000 से लेकर 2023 तक यानी कुल 23 सालों में छत्तीसगढ़ को महज चौथा सीएम मिला है. जबकि छत्तीसगढ़ से 9 दिन छोटे उत्तराखंड राज्य में इन 23 सालों में 10 मुख्यमंत्री बने जबकि कुल 14 बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण कराया गया. यही नहीं यहां पर 2 बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है.

झारखंड में 6 CM, 11 बार शपथ

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को लेकर कितनी अस्थिरता रही है, इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर सके हैं. नारायण दत्त तिवारी (2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007) ही अकेले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया है. उत्तराखंड की तरह झारखंड में भी राजनीतिक अस्थिरता रही है. 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए झारखंड में भी इन 23 सालों में सिर्फ एक मुख्यमंत्री (रघुबर दास, बीजेपी, 28 दिसंबर 2014 से 29 दिसंबर 2019) ही अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं.

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने बीजेपी के बाबूलाल मरांडी. लेकिन उन्हें 2 साल में ही पद से हटना पड़ा. फिर अर्जुन मुंडा सीएम बने और इनके ही दौर में झारखंड राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए. 23 सालों में झारखंड में 6 मुख्यमंत्री हुए जिसमें 11 बार सीएम पद को लेकर शपथ कराई गई. इस दौरान 3 बार राष्ट्रपति शासन भी लगाया गया.

15 साल तक CM रहे रमन सिंह

इसके बरक्स देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद को लेकर या फिर राजनीतिक स्थिरता को लेकर इन 23 सालों में कोई संकट नहीं दिखा. एक नवंबर 2000 को नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद कांग्रेस के नेता अजित जोगी मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2003 में यहां कराए गए पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई और रमन सिंह प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने.

रमन सिंह की अगुवाई में बीजेपी ने 2008 में भी चुनाव में जीत हासिल की और वो दूसरी बार सीएम बने. इसी तरह 2013 के चुनाव में भी बड़ी जीत हासिल की और रमन सिंह ने हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला. हालांकि 2018 के चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो गई. भूपेश बघेल के रूप में प्रदेश को तीसरा सीएम मिला.

बीजेपी ने 2023 के चुनाव में रमन सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था. हालांकि जीत के बाद वह भी सीएम पद की रेस में थे, अगर वह फिर से सीएम बनते तो 23 सालों में प्रदेश के खाते में 3 ही मुख्यमंत्री होते. हालांकि पार्टी ने किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया और इस तरह से छत्तीसगढ़ के खाते में चौथा सीएम आ गया.

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