- 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हर साल 51,57,863 बाल विवाह
- बाल विवाह का उन्मूलन करती है ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ पुस्तक
- 15 लाख लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल से बचाना हैः ऋभु
देहरादून। बाल विवाह के खात्मे के लिए देश के 300 से ज्यादा जिलों में 160 गैर सरकारी संगठन मिल कर 16 अक्तूबर को बाल विवाह मुक्त दिवस मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार देश में 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों और उत्तराखंड में 9.8 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पूर्व ही हो गया था।
2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 51,57,863 लड़कियों का जबकि उत्तराखंड में 54,858 लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया। यूनीसेफ का अनुमान है कि भारत में बाल विवाह की दर यही रही जो पिछले दस साल से है तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी।
मायूसी के इस हालात में भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेजः 2030 तक भारत में बाल विवाह की दर 5.5 प्रतिशत तक लाने का एक समग्र रणनीतिक खाका पेश करती है। ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।
भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ का अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के देहरादून और नैनीताल में लोकार्पण किया गया। बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों के हकों की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले 160 गैर सरकारी संगठनों के सलाहकार भी हैं।
इस किताब का लोकार्पण बाल विवाह पीड़ितों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों से जुड़े लोगों ने किया। लोकार्पण के दौरान बाल विवाह पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह की वजह से किस तरह उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, किशोरावस्था में गर्भवती होने और नवजात बच्चे की मौत जैसी कितनी ही असह्य पीड़ाओं का सामना करना पड़ा।
व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में सबसे ज्यादा प्रभावित करीब 300 जिलों में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करने और इस प्रकार हर साल 15 लाख लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल में फंसने से बचाने के प्रयासों में एक अहम हस्तक्षेप है। किताब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है।