वॉशिंगटन: ताइवान और साउथ कोरिया को लेकर चीन और नॉर्थ कोरिया के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने प्रशांत महासागर में स्थित अपने नौसैनिक अड्डे गुआम की सुरक्षा को अभेद्य बनाने का फैसला किया है। चीन और उत्तर कोरिया लगातार अपनी किलर मिसाइलों के जरिए अमेरिकी नौसैनिक अड्डे को तबाह करने का अभ्यास कर रहे हैं। चीन और उत्तर कोरिया दोनों का दावा है कि उनके पास हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं जिसको किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से नष्ट नहीं किया जा सकता है। इसी खतरे से निपटने के लिए अमेरिका अब गुआम में अपने सबसे घातक थॉड एयर डिफेंस सिस्टम के नए संस्करण को तैनात करने जा रहा है। आइए जानते हैं पूरा मामला….
ब्रिटेन की चर्चित रक्षा कंपनी ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम ने ऐलान किया है कि उसे अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन कंपनी से टर्मिनल हाई एल्ट्यिूड (थॉड) के नई पीढ़ी के इन्फ्रारेड सीकर का डिजाइन बनाने और उसका निर्माण करने का ठेका मिला है। इसी सीकर की मदद से थॉड सिस्टम की मिसाइलें दुश्मन की मिसाइलों को तबाह कर देती हैं। बीएई सिस्टम ने दावा किया है कि उसकी सीकर तकनीक 27 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से आ रही दुश्मन की मिसाइल की पहचान सकती है और लॉक कर सकती है।
चीन ने गुआम को तबाह करने का अभ्यास किया
इसके बाद थॉड का गाइडेंस सिस्टम अपनी मिसाइलों को दुश्मन की ओर भेजता है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि थॉड सिस्टम की क्षमता बलिस्टिक और हाइपरसोनिक हथियारों के खतरे को कम करता है। इससे पहले चीन और उत्तर कोरिया दोनों ही दावा कर चुके हैं कि उन्होंने गुआम किलर मिसाइलें तैनात की हैं। इससे गुआम को लेकर खतरा पैदा हो गया है। चीन ने पिछले साल मंगोलिया में थॉड सिस्टम को तबाह करने के लिए डीएफ-26 मिसाइलों का परीक्षण किया था।
चीन की डीएफ-26 मिसाइल की रेंज करीब 4 हजार किमी है। चीन की यह पहली परंपरागत मिसाइल है जो गुआम तक हमला करने में सक्षम है। चीन ने इस मिसाइल का नौसैनिक वर्जन भी तैयार किया है ताकि ताइवान के पास अक्सर चक्कर लगाने वाले अमेरिका के एयरक्राफ्ट कैरियर को नष्ट किया जा सके। वहीं उत्तर कोरिया ने इस साल जनवरी में हवासोंग-12 मिसाइल का परीक्षण किया था जिसकी अधिकतम रेंज 4500 किमी है। इससे पहले उत्तर कोरिया ने हवासोंग-14 और हवासोंग-15 मिसाइलों का परीक्षण किया था जो अमेरिका की मुख्य भूमि तक मार करने में सक्षम हैं।
कितना शक्तिशाली है थॉड
अमेरिका ने थॉड सिस्टम को कम दूरी, मध्यम दूरी और अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाया था। थॉड सिस्टम को साल 1991 के इराक युद्ध से सबक लेते हुए बनाया गया था जिसमें स्कड मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था। यह सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों को टर्मिनल फेज में ही मार गिराता है। थॉड की मिसाइलों में को वारहेड नहीं होता है, यह काइनेटिक ऊर्जा का इस्तेमाल दुश्मन की मिसाइलों को मार गिराने के लिए करता है। थॉड सिस्टम को यूएई, इजरायल, रोमानिया और दक्षिण कोरिया में तैनात किया जा चुका है। 17 जनवरी 2022 को पहली बार यूएई के थॉड सिस्टम ने एक मध्यम दूरी की मिसाइल को मार गिराया था। इस सिस्टम को लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने बनाया है। इस सिस्टम में शामिल मिसाइलों में सिंगल स्टेज रॉकेट इंजन का इस्तेमाल किया जाता है।