बीजिंग: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात कुछ बदलते नजर आ रहे हैं। पूर्वी लद्दाख के जिन बिंदुओं पर पिछले मई 2020 से चीन के सैनिक बरकरार थे, अब वो पीछे हटने लगे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स मानने लगे हैं कि इसके बाद भी चीन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करना चाहिए। इसकी वजह है वो सैटेलाइट तस्वीरें जो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि चीन की तरफ पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) का जो बॉर्डर कैंप था उसे अब हटा दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी गहराई वाले इलाकों में चीनी सैनिक मौजूद हैं। यही बात एक्सपर्ट्स को परेशान कर रही है।
तो यह है असली वजह
16 राउंड बातचीत के बाद चीनी सेना पीछे हटने पर राजी हुई है। भारत और चीन दोनों ने ही गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स एरिया में पीछे हटने लगी हैं। राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय मध्य एशिया के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। 12 सितंबर तक दोनों देशों के बीच एलएसी पर डिसइंगेजमेंट पूरा हो जाएगा। लेकिन चीनी मीडिया इस बारे में अपने देश के लोगों को सही तस्वीर नहीं दिखा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका कम हो गई है। चाइना डेली की मानें तो यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब जल्द ही शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) का सम्मेलन होने वाला है।
देशवासियों को कुछ मालूम नहीं
चीन की सरकारी मीडिया की तरफ से पीएलए और चीन के विदेश मंत्रालय का बयान अंग्रेजी में तो जारी किया गया लेकिन चीनी भाषा में इसे रिलीज नहीं किया गया। यहां तक चीनी सोशल मीडिया वीबो पर डिसइंगेजमेंट जैसा कोई शब्द ट्रेंड ही नहीं कर रहा था। चीनी सर्च इंजन बायदू पर जरूर डिसइंगेजमेंट शब्द थोड़ी देर के लिए ट्रेंड कर रहा था। जहां भारत की मीडिया की तरफ से डिसइंगेजमेंट को बड़ी घटना करार दिया जा रहा है। लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जहां अभी चीनी सेना को पीछे हटना है। देमचोक और देपसांग एरिया में कोई भी तरक्की नहीं हुई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीन चाहता है कि उजबेकिस्तान में होने वाला एससीओ सम्मेलन बिना किसी मसले के संपन्न हो जाए। ऐसे में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स एरिया में डिसइंगेजमेंट को शुरू किया गया है।
हमेशा धोखा देता है चीन
भारत में रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के साथ जैसा अनुभव रहा है, उसके बाद अभी सावधान रहने की जरूरत है। पिछले तीन दशकों में भारत और चीन के बीच कई समझौते हुए हैं जिनका मकसद बॉर्डर पर शांति बरकरार रखना था। लेकिन चीन ने हमेशा भारत को धोखा दिया है। आठ सितंबर को चीन की तरफ से डिसइंगेजमेंट का ऐलान किया गया था। मई 2020 से दोनों देशों के बीच एलएसी पर टकराव की स्थिति थी। इस साल आठ दौर की वार्ता के बाद भी चीन पीछे नहीं हटा। इसके बाद साल 2021 में पांच राउंड की वार्ता हुई। वहीं इस साल अब तक तीन दौर की वार्ता हो चुकी है।